आगामी 23 मई को शनि की चाल में होगा बदलाव, महामारी में आ सकती है कमी
शनि चंद्रमा के नक्षत्र श्रवण व अपनी ही राशि मकर में वक्री हो रहा है। ज्योतिष में ग्रहों का उल्टी दिशा में चलना वक्री होना कहलाता है। 11 अक्टूबर को इसी नक्षत्र में गोचर करते हुए शनि मार्गी होगा। ग्रहों का सीधी दिशा में आगे बढना मार्गी कहलाता है।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : आगामी 23 मई को शनि की चाल में बदलाव होगा। शनि चंद्रमा के नक्षत्र श्रवण व अपनी ही राशि मकर में वक्री हो रहा है। ज्योतिष में ग्रहों का उल्टी दिशा में चलना वक्री होना कहलाता है। इसके बाद 11 अक्टूबर को इसी नक्षत्र में गोचर करते हुए शनि मार्गी होगा। ग्रहों का सीधी दिशा में आगे बढना मार्गी कहलाता है। इस तरह करीब साढ़े चार माह तक शनि टेढ़ी चाल से चलेगा।
महामारी में आ सकती है कमी
श्री महादेव गिरि संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डा. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक शनि के वक्री होने से देश में फैला डर का माहौल कम होगा। अनुकूलता और आरोग्यता में वृद्धि होगी। शनि के प्रभाव से महामारी के असर में कमी आने की भी संभावना है। लोगों में वायरस से बचाव व दैनिक गतिविधियों में बढ़ोत्तरी होगी। खाने की चीजों के दाम बढ़ सकते हैं। गर्मी और लू से लोगों की परेशानियां भी बढ़ सकती हैं। चातुर्मास में कुछ जगहों में तेज हवा के साथ बारिश हो सकती है। सरकार को आलोचना झेलनी पड सकती है।
साढ़ेसाती व ढैय्या वालों पर रहेगा प्रभाव
शनि की टेढ़ी चाल से साढ़ेसाती वाली राशि धनु, मकर और कुंभ वाले लोग परेशान हो सकते हैं। मिथुन व तुला राशि पर ढय्या होने से इन राशियों के लोगों को भी सावधान रहना होगा। शारीरिक और मानसिक कष्ट भी हो सकते हैं। शनि के अशुभ असर से बचने के लिए गलत और गैर कानूनी कामों से दूर रहना होगा। हनुमानजी की पूजा करने ने प्रभाव को कम किया जा सकता है।
अशुभ प्रभाव से बचने के उपाय
पंडित डा. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक वक्री शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए शनि स्त्रोत का पाठ, शनि के वैदिक मंत्र या ओम नमो भगवते शनैश्चराय व का जप करें। चातुर्मास में पीपल, नीम, आम, वटवृक्ष, पाकड़ व शमी का वृक्ष लगाना चाहिए। 16 साल से कम उम्र के बच्चों पर शनि का अशुभ असर नहीं रहेगा।
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