मी टू अभियान को बनाना है असरदार तो महिला ही नहीं पुरुषों को भी होना पड़ेगा जागरूक
अमेरिका से शुरू हुआ मी टू अभियान ने पूरे भारत में तहलका मचा रखा है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : अमेरिका से शुरू हुआ मी टू अभियान ने पूरे भारत में तहलका मचा रखा है। फिल्म इंडस्ट्री से लेकर अन्य कई क्षेत्रों में महिलाएं वर्षो पहले हुए यौन उत्पीड़न को लेकर मुखर हो रही हैं। इसके बावजूद इस अभियान को लेकर तमाम सवाल भी उठने लगे हैं। इतना तो जरूर है कि यह अभियान महिलाओं को अपने साथ हुए दुर्व्यवहार को खुलकर सार्वजनिक मंच पर साझा करने का मौका दे रहा है। इस मुद्दे पर सोमवार को दैनिक जागरण कार्यालय में जागरण विमर्श कार्यक्रम में चर्चा हुई। मुख्य वक्ता एमबीपीजी कॉलेज में बीएड विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. तनुजा मेलकानी ने कहा कि इस अभियान को अधिक असरदार बनाने के लिए महिला ही नहीं, बल्कि पुरुषों को भी जागरूक होना होगा। साथ ही डॉ. तनुजा ने 'कैसे असरदार बने मी टू अभियान' विषय पर बेबाकी से पक्ष रखा। विषय प्रवर्तन दैनिक जागरण के महाप्रबंधक डॉ. राघवेंद्र चड्ढा ने किया और अंत में समाचार संपादक आशुतोष सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। मी टू बात पुरानी लेकिन तरीका नया
डॉ. तनुजा कहती हैं, महिलाएं अपने साथ हुए दुर्व्यवहार को पहली बार साझा नहीं कर रही हैं। वह पहले भी कविताओं, उपन्यासों व कई अन्य माध्यमों के जरिये भी अपने साथ हुई घटनाओं को उजागर करते रही हैं। अब मामला तकनीकी, सोशल मीडिया और परंपरागत मीडिया की सक्रियता का है। इसलिए बात जल्दी हाइलाइट हो रही है। कुछ हद तक यह स्थिति महिलाओं के लिए यह ठीक है। महानगरों में ही नहीं, गांव-कस्बों में भी समस्या
महिलाओं के साथ यौन दुर्व्यवहार के मामले केवल महानगरों में ही नहीं, बल्कि गांव व कस्बों भी होते हैं। महानगरों के कुछ मामलों को अधिक पब्लिसिटी मिल जाती है। इसलिए उन पर सभी का ध्यान चला जाता है। छोटे-छोटे जगहों पर भी महिलाओं को जागरूक करने की जरूरत है, ताकि वह अपने साथ हुए दुर्व्यवहार की तत्काल शिकायत कर सकें। लड़की के साथ ही लड़के की हो काउंसलिंग
डॉ. तनुजा कहती हैं कि मध्यम व निम्न मध्यम परिवारों में कई बार पैरेंट्स ही अपनी बेटी के साथ हुई घटना को सार्वजनिक करने से डरते हैं। बदनामी के डर से घटना की रिपोर्ट तक नहीं करते। ऐसे में पहले परैंट्स को भी जागरूक होना होगा। इसके साथ ही लड़का व लड़की की भी नियमित काउंसलिंग होनी चाहिए, ताकि उनके साथ किसी तरह का अपराध न हो। अगर अपराध होता है भी तो वह तुरंत शिकायत दर्ज करा सकें। सभी सरकारी व निजी विभागों में शिकायत के लिए एंटी सेक्सुअल हरैसमेंट सेल होना चाहिए। शिकायत करने का तय हो समय
डॉ. तनुजा कहती हैं, शिकायत करने का भी समय तय होना चाहिए, जिससे कि कार्रवाई भी आसानी से संभव हो सके। कई बार निजी हित के लिए भी शिकायतें कर दी जाती हैं, जो कि गलत है। महिलाओं को इससे बचना चाहिए। ऐसे में महिलाएं नौकरी से होगी वंचित
चर्चा में यह भी सामने आया कि महिलाएं बार-बार इस तरह की शिकायत करती रहेंगी। यहां तक कि वर्षो पुराने मामले में किसी को बदनाम करने के लिए ऐसा उठाएंगी, तो इससे माहौल ही खराब होगा। यहां तक पुरुष अधिकारी वाले कार्यालयों में महिलाओं को नौकरी से भी वंचित होना पड़ सकता है।
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अतिथि वक्ता का परिचय
हल्द्वानी में ही वर्ष 1975 में जन्मी डॉ. तनुजा मेलकानी एमबीपीजी कॉलेज में बीएड विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। शिक्षा हल्द्वानी में हुई। एमए, बीएड व पीएचडी की उपाधि हासिल की है। कई शैक्षणिक संगठनों से जुड़ी हैं। कल्याणी संस्था के जरिये गरीब महिलाओं के स्वरोजगार के लिए काम करती हैं। इस कार्य के लिए उन्हें उत्तराखंड रत्न से सम्मानित किया जा चुका है। वह 'शिक्षा व समाज' पुस्तक की लेखिका भी हैं।