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इस दिवाली हो रहा स्वाति नक्षत्र व आयुष्मान योग का अद्भुत संगम, जानिए पूजन समय

प्रकाश और खुशी का पर्व दीपावली इस बार स्वाती नक्षत्र और आयुष्मान योग में पड़ रही है। विशेष योग के कारण दीपावली सर्व कार्य सिद्ध करने व धन-धान्य की वृद्धि करने वाली रहेगी।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 06 Nov 2018 06:46 PM (IST)Updated: Wed, 07 Nov 2018 09:15 PM (IST)
इस दिवाली हो रहा स्वाति नक्षत्र व आयुष्मान योग का अद्भुत संगम, जानिए पूजन समय
इस दिवाली हो रहा स्वाति नक्षत्र व आयुष्मान योग का अद्भुत संगम, जानिए पूजन समय

नैनीताल (जेएनएन) : प्रकाश और खुशी का पर्व दीपावली इस बार स्वाती नक्षत्र और आयुष्मान योग में पड़ रही है। इस लिहाज से दीपावली खास होने जा रही है। शुभ कार्यों का श्रीगणेश करने का भी दीपावली अत्यन्त शुभ अवसर है। ज्योतिष की मानें तो विशेष योग के कारण दीपावली सर्व कार्य सिद्ध करने व धन-धान्य की वृद्धि करने वाली रहेगी। देवी लक्ष्मी के साथ कुबेर और भगवान गणेश का भी पूजन किया जाना चाहिए। निर्णय सिंधु के अनुसार महालक्ष्मी का पूजन सायंकाल प्रदोष काल में करना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र में स्थिर लग्न को पूजन का सर्वश्रेष्ठ समय बताया गया है। वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक स्थिर लग्न में पूजन से लक्ष्मी स्थिर रहती हैं। प्रदोष काल के अलावा गोधूलि, वृष लग्न में भी लक्ष्मी पूजन करना श्रेष्ठ बताया गया है।

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पूजन के लिए दिनभर में कई मुहूर्त : वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ. गोपाल दत्त शास्त्री के मुताबिक प्रात:काल पूजन के लिए 6:32 बजे से 9:12 बजे तक अमृत चौघडिय़ा, पूर्वाह्न 10:30 से 11:55 बजे तक शुभ चौघडिय़ा योग है। महानिशा काल रात्रि 11:25 बजे से रात 12:32 बजे तक तंत्र साधना पूजन के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त है। प्रतिष्ठानों व कारखानों में बही खाते पूजन के लिए पूर्वाह्न 10:36 बजे से 11:58 बजे तक श्रेष्ठ मुहूर्त है।

महालक्ष्मी पूजन के श्रेष्ठ मुहूर्त : गोधूलि  : अपराह्न 4:45 बजे से 5:50 तक

वृष लग्न    : अपराह्न 5:55 बजे से 7:54 तक

प्रदोष काल  : अपराह्न 5:20 बजे से 9:28 तक

अभिजित    : अपराह्न 12:10 बजे से 1:15 तक

घर में करें अष्ट लक्ष्मी का पूजन : दीपावली में आद्य, विद्या, सौभाग्य, अमृत, काम, सत्य, भोग, योग आदि अष्ट लक्ष्मी का पूजन करें। अष्ट सिद्धियों का भी पूजन किया जा सकता है। रात्रि में श्रीसूक्त पाठ, बिल्वपत्र होम करने से अखंड कृपा प्राप्त होगी। कनक धारा स्तोत्र पाठ करने से दरिद्रता दूर होती है।


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