नैनीताल के महेशखान के जलस्रोत का वीडियो अंतरराष्ट्रीय फलक पर पहुंचा, तेलंगाना के पीसीसीएफ ने किया था ट्वीट
आइएफएस मोहन परगाईं ने नौ नवंबर को यह वीडियो ट्विटर पर अपलोड किया था। वह वनों के महत्व व संरक्षण को लेकर दुनिया भर में जागरूकता फैलाते हैं। इंटरनेट मीडिया के साथ ही अनेक पत्र-पत्रिकाओं में उनके आलेख भी प्रकाशित हाेते रहते हैं।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : बांज के घने जंगल और उनके बीच पेड़ों से होकर जमीन पर टप टप टपकती पानी की बूंदें। यह नजारा महेशखान (Maheshkhan) के निकट का है। जब इस जगह का वीडियो इंटरनेट मीडिया में पहुंचा तो पर्यावरण व जल संरक्षण से जुड़े दुनिया भर के लोगों के लिए महेश खान आकर्षण का केंद्र बन गया है।
ट्विटर पर अपलोड हुआ था वीडियो
दो सप्ताह पहले अपने गृह क्षेत्र के दौरे पर पहुंचे तेलंगाना के प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) मोहन परगाईं (Mohan Pargaien IFS) ने यह वीडियो बनाकर ट्विटर पर पोस्ट किया था। इसी वीडियाे को जब नार्वे के पूर्व पर्यावरण मंत्री व संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के पूर्व एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर एरिक सोलहेम ने भी अपने टि्वटर हैंडल से अपडेट किया तो इसकी चर्चा दुनिया भर में होने लगी।
How good forest improves groundwater recharge?👇@IUCN_Water @veenas_water @WorldBankWater @ParveenKaswan @ishafoundation @byadavbjp @MoJSDoWRRDGR @KTRTRS @water_conflicts #forests #water4climate #SaveSoil #saveforest pic.twitter.com/i1EVsupaPs
— Mohan Pargaien IFS (@pargaien) November 9, 2022
19 हजार से अधिक लोगों ने देखा
एरिक ने लिखा है, भूजल को रिचार्ज करने का यह जंगल बहुत अच्छा है। हम सभी पौधे लगाएं और पानी व मिट्टी बचाएं। इस पोस्ट पर हजारों कमेंट आ रहे हैं और इसे 19 हजार से अधिक लोगों ने देख लिया है। लोग महेशखान के जंगल की खूब तारीफ भी कर रहे हैं।
धरा को रिचार्ज करते हैं बांज के जंगल
आइएफएस मोहन परगाईं ने नौ नवंबर को यह वीडियो अपलोड करते हुए लिखा था, 'अच्छा जंगल किस तरह भूजल को रिचार्ज करने में मदद करता है।' वैसे भी परगाईं वनों के महत्व व संरक्षण को लेकर दुनिया भर में जागरूकता फैलाते हैं। इंटरनेट मीडिया के साथ ही पत्र-पत्रिकाओं में आलेख प्रकाशित हाेते रहते हैं। जागरण संवाददाता से फोन पर बातचीत में मोहन परगाईं ने बताया कि मुझे महेशखान के पास बांज के जंगल ने आकर्षित किया। इसी जंगल का ही असर है कि लगातार भूमि रिचार्ज हो रही है। यह बांज के जगल जीवनदायिनी है। इसके संरक्षण को हमें आगे आने होगा। जल संरक्षण के लिए ऐसी पहल पूरे उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि देश भर में होनी चाहिए।
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