धरती के उत्तरी गोलार्द्ध में मौसम उगल रहा आग, आसमान में सूर्य का अगले सौरचक्र में प्रवेश
धरती के उत्तरी गोलार्द्ध में मौसम आग उगल रहा है तो आसमान में सूर्य ने अगले सौरचक्र में कदम रख दिया है। वैज्ञानिक इसे 25वें सौरचक्र की शुरुआत मान रहे हैं। यह चक्र 11 वर्षो तक रहेगा
By Edited By: Published: Wed, 12 Jun 2019 05:30 AM (IST)Updated: Wed, 12 Jun 2019 10:14 AM (IST)
नैनीताल, रमेश चंद्रा : धरती के उत्तरी गोलार्द्ध में मौसम आग उगल रहा है तो आसमान में सूर्य ने अगले सौरचक्र में कदम रख दिया है। वैज्ञानिक इसे 25वें सौरचक्र की शुरुआत मान रहे हैं। यह चक्र 11 वर्षो तक रहेगा।
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के निदेशक व वरिष्ठ सौर वैज्ञानिक डॉ. वहाबउद्दीन ने बताया कि 28 मई को एक सौरकलंक सूर्य के उत्तरी गोलार्द्ध में बना था। यह कुछ ही मिनट तक दिखाई दिया, उसके बाद गायब हो गया। यह सौरकलंक अगले सौरचक्र के शुरुआत की दस्तक है। सौरचक्र में सूर्य मैक्सिमा (सक्रियता) व मिनिमा (शांत अवस्था) के दौर से गुजरता है। अभी तक सूर्य मिनिमा से गुजर रहा था और अब मैक्सिमा के दौर से गुजरेगा। इस दौरान सौरकलंक की संख्या बढ़नी शुरू हो जाएगी, जिससे सूर्य की सतह से ज्वालामुखी के समान ही ज्वालाओं का उठना शुरू हो जाएगा। इन ज्वालाओं से उच्चस्तरीय गामा व एक्स किरणों आदि के रूप में पार्टिकल्स निकलते हैं। उच्च ऊर्जावान ये कण धरती के विद्युत व इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए बेहद घातक हैं। धरती की कक्षा के साथ आसमान में भ्रमण कर रहे सेटेलाइटस के लिए भी यह खतरनाक होते हैं, जिसके चलते सूर्य की प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखी जाती है। अब सूर्य पर सक्रियता धीरे-धीरे बढ़नी शुरू होने लगेगी। वर्ष 2024 में इसकी सक्रियता चरम पर रहने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। सौरचक्र की गणना के बाद से अभी तक का यह 25वां चक्र है। सूर्य का धरती से गहरा रिश्ता सूर्य का धरती से गहरा संबंध है।
इसकी तपिश के बिना पृथ्वी में गर्माहट की कल्पना नहीं की जा सकती, जिसके चलते यह कहा जाता है कि सूर्य पर उठने वाली लाखों किमी लंबी ज्वालाओं से धरती के ताप पर असर पड़ता है। हालांकि इसके उलट वैाज्ञानिकों का कहना है कि इसका धरती के ताप से कोई असर नही पड़ता है। सूर्य की सक्रियता के दौरान ऊर्जावान कण धरती की ओर अक्सर आते रहते हैं।
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आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के निदेशक व वरिष्ठ सौर वैज्ञानिक डॉ. वहाबउद्दीन ने बताया कि 28 मई को एक सौरकलंक सूर्य के उत्तरी गोलार्द्ध में बना था। यह कुछ ही मिनट तक दिखाई दिया, उसके बाद गायब हो गया। यह सौरकलंक अगले सौरचक्र के शुरुआत की दस्तक है। सौरचक्र में सूर्य मैक्सिमा (सक्रियता) व मिनिमा (शांत अवस्था) के दौर से गुजरता है। अभी तक सूर्य मिनिमा से गुजर रहा था और अब मैक्सिमा के दौर से गुजरेगा। इस दौरान सौरकलंक की संख्या बढ़नी शुरू हो जाएगी, जिससे सूर्य की सतह से ज्वालामुखी के समान ही ज्वालाओं का उठना शुरू हो जाएगा। इन ज्वालाओं से उच्चस्तरीय गामा व एक्स किरणों आदि के रूप में पार्टिकल्स निकलते हैं। उच्च ऊर्जावान ये कण धरती के विद्युत व इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए बेहद घातक हैं। धरती की कक्षा के साथ आसमान में भ्रमण कर रहे सेटेलाइटस के लिए भी यह खतरनाक होते हैं, जिसके चलते सूर्य की प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखी जाती है। अब सूर्य पर सक्रियता धीरे-धीरे बढ़नी शुरू होने लगेगी। वर्ष 2024 में इसकी सक्रियता चरम पर रहने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। सौरचक्र की गणना के बाद से अभी तक का यह 25वां चक्र है। सूर्य का धरती से गहरा रिश्ता सूर्य का धरती से गहरा संबंध है।
इसकी तपिश के बिना पृथ्वी में गर्माहट की कल्पना नहीं की जा सकती, जिसके चलते यह कहा जाता है कि सूर्य पर उठने वाली लाखों किमी लंबी ज्वालाओं से धरती के ताप पर असर पड़ता है। हालांकि इसके उलट वैाज्ञानिकों का कहना है कि इसका धरती के ताप से कोई असर नही पड़ता है। सूर्य की सक्रियता के दौरान ऊर्जावान कण धरती की ओर अक्सर आते रहते हैं।
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