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    चिपको आंदोलन की तस्वीर से प्रभावित बेहद प्रभावित हुईं थाईलैंड की राजकुमारी nainital news

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Thu, 13 Feb 2020 08:27 PM (IST)

    पहाड़ की तलहटी में बने सर्किट हाउस काठगोदाम में प्रवेश करते ही थाईलैंड की राजकुमारी महाचक्री शिरीनधौर्न की नजर चिपको आंदोलन की याद को ताजा करती पुतले पर पड़ गई।

    चिपको आंदोलन की तस्वीर से प्रभावित बेहद प्रभावित हुईं थाईलैंड की राजकुमारी nainital news

    हल्द्वानी, गणेश जोशी : पहाड़ की तलहटी में बने सर्किट हाउस काठगोदाम में प्रवेश करते ही थाईलैंड की राजकुमारी महाचक्री शिरीनधौर्न की नजर चिपको आंदोलन की याद को ताजा करती पुतले पर पड़ गई। इसे देख राजकुमारी ठिठक गईं। कुछ देर उसे निहारती रहीं और अपने मोबाइल से उसकी तस्वीर भी लीं। सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्यूष सिंह की ओर जिज्ञासा भरी नजरों से देखते हुए बोलीं, यह क्या है?  सिटी मजिस्ट्रेट ने उन्हें बताया कि चिपको आंदोलन एक पर्यावरण रक्षा का आंदोलन है। इस प्रतीक में महिला एक पेड़ को बचाने के लिए जुटी है। वह नहीं चाहती थी कि पेड़ कटे। यह आंदोलन हमें पर्यावरण संरक्षण के प्रति सचेत करता है। यही संदेश देने के लिए इसे प्रतीक के तौर पर लगाया गया है। इस बात को सुन राजकुमारी मुस्कुराईं और सर्किट हाउस में अपने कमरे की तरफ चल दीं।

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    ये है चिपको आंदोलन

    वृक्षों के अंधाधुंध कटान को रोकने के लिए महिलाओं के अंदर चेतना जगी तो चिपको आंदोलन के रूप में सामने आया।  वर्ष 1973 का मामला है। चमोली जिले में पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा, गोविंद सिंह रावत, चंडी प्रसाद भट्ट व गौरा देवी के नेतृत्व में सैकड़ों महिलाओं ने आंदोलन शुरू कर दिया। महिलाएं पेड़ से चिपक कर उन्हें बचाने की अपील करने लगीं। धीरे-धीरे यह आंदोलन पूरे प्रदेश में फैल गया। रैणी गांव की 27 महिलाओं ने इसके लिए अपने प्राणों की आहुति भी दी थी। वर्ष 1987 में इस आंदोलन को सम्यक जीविका पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

    यहां के लोग बड़े लंबे हैं

    राजकुमारी के साथ थाईलैंड का शिष्टमंडल भी पहुंचा था। इस दौरान थाईलैंड के एक व्यक्ति ने पूछा कि यहां के लोग तो बहुत लंबे होते हैं। इसे सुन आसपास के लोग व पुलिस अधिकारी उस समय तो कुछ नहीं बोले लेकिन बाद में इसकी चर्चा करते रहे। 

    25 मिनट सर्किट हाउस में रुकीं  

    देहरादून से  पंतनगर तक  हवाई मार्ग से पहुंचीं राजकुमारी वहां से कार से सर्किट हाउस पहुंचीं। करीब 25 मिनट रुकने के बाद वह हरीश देवस्थल नैनीताल के लिए रवाना हो गईं। 

    निजी दौरे पर भारत पहुंची हैं राजकुमारी

    थाईलैंड की राजकुमारी महाचक्री शिरीनधौर्न अपने निजी दौरे के तहत भारत भ्रमण के लिए निकली हैं। कल वह देहरादून पहुंची, जिसके बाद आज दोपहर निर्धारित कार्यक्रम के तहत पंतनगर एयरपोर्ट से सीधे काठगोदाम स्थित सर्किट हाउस पहुंचीं। राजकुमारी कल पंतनगर एयरपोर्ट से दिल्‍ली के लिए रवाना हो जाएंगी।

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