Jamrani Dam : दो महीने तक गांवों में घूमकर विस्थापिताें के हिस्से-बंटवारे का ब्यौरा जुटाएगी टीम
Jamrani Dam जमरानी बांध के डूब क्षेत्र में तिलवारी मुरकुडिय़ा उडूवा गनराड़ पनियाबोर और पस्तोला गांव आ रहे हैं। पुराने सर्वे में विस्थापित परिवारों की ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: Jamrani Dam : जमरानी बांध को लेकर अब एक अहम प्रक्रिया शुरू होने वाली है। दो महीने तक टीम गांव-गांव जाकर सर्वे करेगी। संयुक्त परिवारों के बीच हिस्सा-बंटवारा या परिवार के मुखिया का निधन होने की वजह से संपत्ति सदस्यों में बंटने को सत्यापित किया जाएगा। इस हिसाब से मुआवजा पाने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी होने की पूरी संभावना है।
पुनर्वास को लेकर लागू की जाने वाली भूमि अध्यापी की धारा 16 के तहत यह सब किया जाएगा। प्रक्रिया पूरी होते ही पुनर्वास और विस्थापन को लेकर योजना गठित हो जाएगी। हालांकि, इसके बाद जन सुनवाई का दौर भी चलेगा। यही वजह है कि टीम गांव-गांव जाकर सर्वे कर रही है। ताकि बाद में किसी तरह के विवाद की स्थिति न बने।
जमरानी बांध के डूब क्षेत्र में तिलवारी, मुरकुडिय़ा, उडूवा, गनराड़, पनियाबोर और पस्तोला गांव आ रहे हैं। पुराने सर्वे में विस्थापित परिवारों की संख्या 1323 थी। पिछले दिनों ग्रामीणों ने एसडीएम नैनीताल और एडीएम से मुलाकात कर कहा था कि धारा 11 लागू होने से पहले कई जगहों पर जमीन का बंटवारा हुआ था। ऐसे में विस्थापितों की संख्या बढ़ रही है।
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अब जमरानी परियोजना के प्रबंधक हिमांशु पंत ने बताया कि मौसम के साथ देने पर बुधवार से टीम छह गांव पहुंच सर्वे शुरू करेगी। मुआवजे से जुड़े पपत्र तैयार करने के लिए आधार कार्ड, राशन कार्ड, बिजली बिल आदि जुटाया जाएगा। इसके अलावा मकान व जमीन बंटवारे का भौतिक सत्यापन होगा। जिसके बाद पुनर्वास और विस्थापन का ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा।
तीन माह पीछे चल रही प्रक्रिया
विस्थापन को लेकर की जाने वाली अहम प्रक्रिया को लेकर पूर्व में एक समय सारणी बनाई गई थी। जिसके तहत जून 2022 में धारा 16 से जुड़े सर्वे व प्रक्रिया को पूरा किया जाना था। लेकिन शेड्यूल तीन महीने पीछे चल रहा है। प्रक्रिया पूरी होने के बाद विशेषज्ञ कमेटी समीक्षा भी करेगी।
मुआवजे को जरूरी दस्तावेज चेक किए जाएंगे
परियोजना प्रबंधक जमरानी हिमांशु पंत ने बताया कि सबसे पहले मुआवजे को जरूरी दस्तावेज चेक किए जाएंगे। परिवार में बंटवारा होने की स्थिति को भी देखा जाएगा। उसके बाद हर विस्थापित की आइडी तैयार की जाएगी। ताकि पता चल सके कि किसका कितना हिस्सा बांध की जद में आएगा।

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