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    टनकपुर, मथुरा और सोरों शूकर रेलवे स्टेशन को दिया गया भव्‍य आकार, झलक रही सांस्‍कृतिक विरासत

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Thu, 11 Feb 2021 10:48 AM (IST)

    परिवहन का लोकप्रिय साधन रेलवे और स्टेशन लोगों के दिलोदिमाग में रचे बसे होते हैं। ऐसे में स्थानीय स्तर पर सांस्कृतिक धरोहर व ऐतिहासिक वैभव वाले स्टेशन परिसर को स्वरूप देने के लिए भारतीय रेल कार्य कर रहा है।

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    टनकपुर, मथुरा और सोरों शूकर रेलवे स्टेशन को भव्‍य आकार दिया गया

    हल्द्वानी, मनीस पांडेय : परिवहन का लोकप्रिय साधन रेलवे और स्टेशन लोगों के दिलोदिमाग में रचे बसे होते हैं। ऐसे में स्थानीय स्तर पर सांस्कृतिक धरोहर व ऐतिहासिक वैभव वाले स्टेशन परिसर को स्वरूप देने के लिए भारतीय रेल कार्य कर रहा है। जिसमें टनकपुर सहित पूर्वोत्तर रेलवे के तीन स्टेशनों को नया रूप दिया जा चुका है। यहां पहुंचने वाले यात्रियों को सुखद यात्रा का अहसास हो रहा है। 

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    लखनऊ और वाराणसी स्टेशन पर पहुंचते ही शहर के इतिहास की बानगी परिसर की इमारत के आधार पर दिख जाती है। ठीक इसी तरह पूर्णागिरी धाम के समीप मौजूद टनकपुर स्टेशन को भी नया रूप दिया गया है। स्टेशन परिसर में मंदिर के गुंबद की आकृति बनाई गई है। जिसे देखने के बाद पूर्णागिरी मंदिर के प्रति श्रद्धा का वातावरण स्टेशन पहुंचते ही हो जाता है। इज्जत नगर मंडल के जनसंपर्क अधिकारी राजेंद्र सिंह ने बताया कि टनकपुर रेलवे स्टेशन को तैयार कर दिया गया है। जिसमें ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और धरोहर के रूप में स्टेशन परिसर का रूप दिया गया है।

    पर्यटकों के लिए आकर्षण

    पर्यटन क्षेत्र की व्यापाकता को भी स्टेशन को नया कलेवर देने में ध्यान रखा गया है। पर्यटन के लिए परिवहन की बात की जाए तो रेलमार्ग का प्रयोग सर्वाधिक होता है। ऐसे में स्टेशन का नया रंग पर्यटकों को लुभाने वाला है। जिसमें सांस्कृतिक विरासत को ध्यान में रखते हुए कार्य किया गया है। टनकपुर रेलवे स्टेशन को नया रूप देने में करीब एक वर्ष का समय लगा और इसमें करीब 50 लाख रुपये खर्च किए गए हैं।   

    वाराह अवतार की भूमि सोरों

    कासगंज जिले में स्थित सोरों शूकर क्षेत्र भगवान विष्णु के अवतार वाराह की भूमि है। जहां भगवान वाराह की विशाल प्राचीन मूर्ति है। इसी तरह चंपावत जिले में टनकपुर स्टेशन से करीब 20 किमी दूरी पर सिद्धपीठ मां पूर्णागिरी का मंदिर है। अन्नपूर्णा शिखर पर स्थित यह मंदिर 108 सिद्ध पीठों में से एक माना जाता है। शक्ति पीठ के दर्शन के लिए प्रति वर्ष लाखों श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं। वहीं मथुरा भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली है। जहां कई प्राचीन मंदिर हैं।

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