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    जानकर होगी हैरानी, यहां के अस्‍पताल में तीन साल से इंजेक्शन लगाने के लिए नहीं है सिरिंज

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Fri, 26 Apr 2019 12:08 PM (IST)

    कुत्तों और बंदरों के काटने से जख्मी मरीज अगर बेस अस्पताल पहुंचता है तो उसे इंजेक्शन लगाने के लिए सीङ्क्षरज मेडिकल स्टोर से लानी होगी।

    जानकर होगी हैरानी, यहां के अस्‍पताल में तीन साल से इंजेक्शन लगाने के लिए नहीं है सिरिंज

    हल्द्वानी, जेएनएन : कुत्तों और बंदरों के काटने से जख्मी मरीज अगर बेस अस्पताल पहुंचता है तो उसे इंजेक्शन लगाने के लिए सिरिंज मेडिकल स्टोर से लानी होगी। शहर के इस बड़े सरकारी अस्पताल में सिरिंज का अकाल अभी से नहीं, तीन साल से है। 5-10 रुपये तक मिलने वाली सिरिंज भी मरीजों को बाहर से लानी पड़ती है। पहले से तकलीफ में रहने वाले मरीज इससे और परेशान होते हैं। फिलहाल वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर एंटी रैबीज वैक्सीन के 15 वॉयल अस्पताल में आ चुके हैं, लेकिन इंजेक्शन तभी लगेगा, जब मरीज के पास सिरिंज होगी। ये 15 वॉयल दिन तक ही चल पाएंगे। 

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    रोजाना आ रहे हैं 27 मरीज 

    बेस अस्पताल में कुत्तों के काटने से जख्मी मरीजों की संख्या ज्यादा है, जबकि इक्का-दुक्का मरीज ही बंदर के काटने और अन्य बीमारियों के आ रहे हैं। रोजाना करीब 27 मरीज अस्पताल आ रहे हैं, जिनको सिरिंज लाने के लिए फिर से दौडऩा पड़ रहा है।

    खेल-खेल में हो रहा इंफेक्शन

    पालतू कुत्ते के साथ खेल-खेल में भी लोगों में इंफेक्शन हो रहा है। पालतू कुत्ते के मुंह में हाथ-पैर की अंगुली देने के चलते भी लोगों में इंफेक्शन फैल रहा है। बुधवार को दो मरीज अस्पताल में ऐसे भी आए थे, जिनको चिकित्सक ने इंजेक्शन लगाया।

    सात बजे बंद हो जाते हैं गेट 

    बेस अस्पताल का ढर्रा भी अजीब है। यहां पर सात बजे तक पिछला गेट बंद हो जाता है। शाम को जब तीमारदारों को भोजन आदि की व्यवस्था के लिए जाना होता है तो उनको मेन गेट से घूमकर जाना पड़ता है। 

    नहीं है सिरिंज 

    केआर आर्या, चीफ फार्मासिस्ट, बेस अस्पताल ने कहा कि लंबे इंतजार के बाद एंटी रैबीज वैक्सीन के 15 वायल आ चुके हैं। सिरिंज नहीं हैं। फिलहाल वैक्सीन आने के बाद लोगों को टीके लगाए जा रहे हैं।