नवजात बच्चों में पीलिया के कारण, लक्षण और उपचार के बारे में बता रहे हैं बाल रोग विशेषज्ञ डा. अक्षय
jaundice in newborn नवजात बच्चे में पीलिया सामान्य बात है। वैसे तो पीलिया होने का स्पष्ट को कई कारण पता नहीं चलता है। जब नवजात मां के पेट से बाहर आता है। उस समय लीवर फंक्शन ठीक नहीं रहता है। बिलरयूबिन बढ़ने से पीलिया होने लगता है।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : jaundice in newborn : नवजात बच्चे में पीलिया सामान्य बात है। इसे लेकर तब तक घबराने की जरूरत नहीं, जब तक कि बच्चा दूध पीना बंद न कर दे। सुस्ती छाने लगे और हाथ व पैरों के तलवे में पीलापन बढ़ने लगे तो तत्काल डाक्टर से संपर्क करना चाहिए। रविवार को यह सलाह दैनिक जागरण के हैलो डाक्टर कार्यक्रम में नीलकंठ अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डा. अक्षय गोलवलकर ने दिया।
जब पांवों के नीचे पहुंचे पीलिया तो खतरा अधिक
डा. अक्षय का कहना है कि वैसे तो पीलिया होने का स्पष्ट को कई कारण पता नहीं चलता है। जब नवजात मां के पेट से बाहर आता है। उस समय लीवर फंक्शन ठीक नहीं रहता है। बिलरयूबिन बढ़ने से पीलिया होने लगता है। सामान्य रूप से यह सातवें-आठवें दिन में अधिक होता है और इसके बाद ठीक होने लगता है। यह सामान्य प्रक्रिया है। इसे लेकर डरने की जरूरत नहीं है। इस तरह की स्थिति दो महीने तक रह सकती है। हां, इससे ज्यादा समय तक पीलिया होने लगे तो तब डाक्टर के पास जाना चाहिए। जब बच्चे ने दूध पीना बंद कर दिया हो। डा. अक्षय का कहना है कि पीलिया ऊपर से नीचे की तरफ फैलता है। पांवों से नीचे पहुंचने पर दिक्कत बढ़ने लगती है। तब फिर बच्चे को भर्ती कर इलाज किया जाता है।
डायरिया से डरें नहीं, रहें सावधान
कुमाऊं भर से फोन पर परामर्श देते समय डा. अक्षय ने बताया कि डायरिया से डरें नहीं। जीरो से छह माह तब बच्चा सिफ मां गा दूध पीता है। इससे उसे कोई तकलीफ नहीं होती है। वैसे कई बार बच्चा 10 से 15 बार भी मल त्याग कर रहा है तो भी दिक्कत नहीं। यह सामान्य प्रक्रिया है। बीमारी तब परेशानी देती है, जब बच्चे को बुखार भी हो। उल्टी करने लगे और दूध न पी रहा हो। सुस्त लगने लगे। वैसे डायरिया के समस्या छह माह से बाद शुरू होती है। जब बच्चा कुछ भी मुंह में डालने लगता है। संक्रमण की वजह से बच्चा डायरिया से ग्रस्त हो जाता है। अगर रोटावायरस वैक्सीन दी गई हो तो परेशानी नहीं होती है।
बरतें ये सावधानी
- बाटल से दूध न पिलाएं
- डायपर का इस्तेमाल कम से कम करें
- सर्दियों में रात में डायपर न पहनाएं
- बच्चे के आसपास का वातावरण साफ रखें
- रोटावायरस का टीका अवश्य लगवाएं
- धूल, धुएं से दूर रखें
- सर्दियों में बदन ढककर रखें
- ऊनी के बजाय काटन के मल्टीलेयर कपड़े पहनाएं
इन्होंने लिया परामर्श
हल्द्वानी से अमित, राजेश कुमार, राबिन, देवेंद्र सिंह, गौलापार से धर्मेंद्र सिंह कार्की, पिथौरागढ़ से सुरेश जोशी, डीडीहाट से बसंत कुमार, रामनगर से कंचन भट्ट, टीएस रावत, अल्मोड़ा से राकेश, बिंदुखत्ता से एलएस जग्गी, काशीपुर से उमेश कुमार, छड़ायल से गंगा, बागेश्वर कांडा से बबलू कांडपाल आदि ने फोन कर परामर्श लिया।
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