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कुमाऊं विश्वविद्यालय काकड़ीघाट में बनाएगा स्वामी विवेकानंद पीठ, प्रस्‍ताव बनाने के निर्देश

कुमाऊं विवि अब महादेवी सृजन पीठ की तर्ज पर युगपुरुष स्वामी विवेकानंद पीठ काकड़ीघाट में स्थापित करेगा।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 01 Jun 2019 07:13 PM (IST)Updated: Mon, 03 Jun 2019 07:07 PM (IST)
कुमाऊं विश्वविद्यालय काकड़ीघाट में बनाएगा स्वामी विवेकानंद पीठ, प्रस्‍ताव बनाने के निर्देश
कुमाऊं विश्वविद्यालय काकड़ीघाट में बनाएगा स्वामी विवेकानंद पीठ, प्रस्‍ताव बनाने के निर्देश

किशोर जोशी, नैनीताल : कुमाऊं विवि अब महादेवी सृजन पीठ की तर्ज पर युगपुरुष स्वामी विवेकानंद पीठ काकड़ीघाट में स्थापित करेगा। पीठ में ध्यानस्थल काकड़ीघाट, मायावती आश्रम लोहाघाट के अलावा स्वामी विवेकानंद की कुमाऊं यात्रा का समावेश होगा तो इन स्थानों का इतिहास, संस्कृत, दर्शन पाठ्यक्रम का हिस्सा बनेगा। कुलपति ने इस संबंध में पाठ्यक्रम तैयार करने वाली समिति को निर्देश दे दिए हैं। साथ ही पीठ का प्रस्ताव तैयार करने को भी कहा है। दरअसल, कुलपति प्रो. केएस राणा ने मंगलवार को काकड़ीघाट में नीम करौली आश्रम के बाबा से मुलाकात की। साथ ही उन्हें दिल्ली में उनके अधीन शोध कर चुकी शोधार्थी ने भी काकड़ीघाट का महत्व बताया था। कुलपति ने आश्रम के स्वामी जी से काकड़ीघाट का आध्यात्मिक व धार्मिक महत्व भी जाना। कुलपति ने बताया कि काकड़ीघाट को शोध पीठ बनाने पर विचार किया जाएगा।

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पवित्रस्थल है काकड़ीघाट से मिली शिकागो भाषण की प्रेरणा

काकड़ीघाट में सोमवारी महाराज के साथ ही स्वामी विवेकानंद, नीम करौली महाराज, गुदड़ी महाराज का आश्रम है। इतिहासकार प्रो. अजय रावत बताते हैं कि स्वामी विवेकानंद 13 मई 1890 को नैनीताल में अपने मित्र राजा साहब खेत्री से मिलने आए और 16 मई को अल्मोड़ा के लिए रवाना हुए। 17 मई को उन्होंने काकड़ीघाट में पीपल के पेड़ के नीचे ध्यान किया। उनके साथ स्वामी अखंडानंद भी थे। स्वामी ने दो घंटे ध्यान किया जब उठे तो उन्होंने कहा कि उनके अंदर आध्यात्म को लेकर जितनी भी आंतरिक समस्या थी, उसका समाधान हो चुका है। मैंने संपूर्ण विश्व को एक अणु में देख लिया है।

यहां से लौटने के बाद उन्होंने ब्रह्मïांड पर कॉस्मोस, माइक्रो कोस्म पर लेख लिखा। काकड़ीघाट में ध्यान के बाद भी स्वामी विवेकानंद को शिकागो धर्म सम्मेलन के भाषण की प्रेरणा मिली। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि स्वामी विवेकानंद 1901 को मायातवी आश्रम लोहाघाट आए थे, जबकि 19 मार्च 1899 को मायावती आश्रम की स्थापना उनके शिष्य कैप्टन जौन हैनरी सेवियर, चाल्र्स एलिजाबेथ सेवियर द्वारा की गई थी।

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