ज्ञानवापी भगवान शिव का मूल स्थान, ज्ञान की नगरी काशी और वापी का अर्थ है कुंड: महामंडलेश्वर कैलाशानंद
निरंजनी पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि गुरुवार को नेपाल के ब्रहमदेव मंदिर जाते समय उत्तराखंड के खटीमा में रुके। इस दौरान उन्होंने पत्रकार वार्ता में ज्ञानवापी विवाद पर कहा कि यह विवाद का विषय ही नहीं है। नाम से ही सब पता चल रहा है।

संवाद सहयोगी, खटीमा। हरिद्वार के निरंजनी पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज ने कहा कि वाराणसी के ज्ञानवापी का शिवलिंग प्राचीन है यह अनादिकाल से है। सतयुग के मध्यकाल का शिवलिंग हैं। ज्ञानवापी को व्याकरण की दृष्टि से देखें तो भगवान शिव की नगरी काशी ज्ञान की है और वापी का अर्थ होता है कुंड। वह गंगा का कुंड है। नाम का परिवर्तन न होने से उसका नाम ज्ञानवापी रहा।
शास्त्रों में ज्ञानवापी का प्रमाण मिलता है। उस शिवलिंग के प्रत्यक्ष साक्षी हैं भगवान नंदी हैं। मंदिर की आकृितयां भी भगवान शिव के मूल स्थान काे प्रमाणित करती है। कोई भी भारतीय परंपराओं को किसी तरह का आघात न पहुंचाए।
उन्होंने मुस्लिम समाज को कहा वे उसमें अतिक्रमण का भाव न रखें उसे वह प्रसन्नतावश सनातनी को सौंप दें। विवाद करने से कोई लाभ नहीं है। ज्ञानवापी वह हमारा था, हमारा है और हमारा ही रहेगा।
गुरुवार को नेपाल के ब्रहमदेव मंदिर जाते समय खटीमा में रुके। इस दौरान महामंडलेश्वर महाराज जी ने पत्रकारों से कहा कि उत्तराखंड, हिमाचल व उत्तर प्रदेश तीन देव स्थान हैं। जितने भगवान आए उत्तर प्रदेश में आए। आचार्य दक्षिण भारत आए। जितने देवता निवास के लिए या साधना के लिए वह उत्तराखंड आए।
काशी विश्वनाथ में कोई विवाद नहीं है। अराजक तत्व के लोग विवाद बना रहे हैं। ज्ञानवापी भगवान शिव का मूल स्थान हैं। जो आदिलिंग को कोई नुकसान व क्षति नहीं पहुंचा सकता है। सनातन अनादिकाल से है और अनादिकाल तक रहेगा।
कहा कि चारधाम में बिना पंजीकरण के कोई प्रवेश न हो। एक भी यात्री का नुकसान न हो। सरकार से उन्होंने लोगों की सुरक्षा पर ध्यान बढ़ाने को कहा है। इस दौरान खटीमा फाईबर्स के सीएमडी डॉ.आरसी रस्तोगी, कॉर्बेड नेशनल पार्क के वार्डन दिनेश मंगला, महामंडलेश्वर के सचिव अवितिका नंद आदि मौजूद रहे।
धामी की जीत के लिए करूंगा प्रार्थना
स्वामी कैलाशानंद ने कहा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरल, सहज और सौम्य व्यतित्व के धनी हैं। उपचुनाव में उनकी जीत के लिए मै भगवान से प्राथर्ना करूंगा। पुष्कर धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड की आध्यात्मिकता, समानता, प्रदेश का विकास है, हमारी जो परिचर्या है उसको वह पूरी दुनिया में सहजता से लेकर जाऐंगे। धामी के भारी मतों से विजय होने का महादेव से आर्शीवाद लूंगा।
दर्शन कर वापस हरिद्वार रवाना
कैलाशानंद गिरि दोपहर चौपर से राधास्वामी सतसंग परिसर पहुंचे। पत्रकारों से वार्ता के बाद वह पड़ोसी देश नेपाल पहुंचे। जहां उन्होंने सिद्धबाला के दर्शन किए। वापिस खटीमा में डिग्री कालेज रोड स्थित कॉर्बेड नेशनल पार्क के वार्डन दिनेश मंगला के आवास पर भोजन किया।
इस दौरान परिवार के सदस्यों माता मोहनी देवी, पत्नी नीतू मंगला, रिषभ व शुरभी ने स्वामी का आशीर्वाद लिया। जिसके बाद वह वापस हरिद्वार रवाना हो गए।
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