Updated: Thu, 17 Jul 2025 08:55 PM (IST)
हल्द्वानी की रैंकिंग में गिरावट का मुख्य कारण गौला बाईपास पर कूड़े का पहाड़ है। कचरे का पृथक्कीकरण न होने और एमआरएफ सेंटर के संचालन में देरी ने स्थिति को बदतर कर दिया है। हालांकि रिहायशी और बाजार क्षेत्रों में स्वच्छता बरकरार है लेकिन डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन और ऑनलाइन फीडबैक में कमी आई है। निस्तारण कार्य अप्रैल 2025 से शुरू हो गया है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। प्रवेशद्वार के साथ-साथ कुमाऊं की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले हल्द्वानी की रैंकिंग में गिरावट की वजह गौला बाईपास पर खड़ा कचरे का पहाड़ भी है। जहां जिले के अलग-अलग निकायों से रोजाना कचरा पहुंचता है। लेकिन निस्तारण अभी तक नहीं हो सका।
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कूड़ा पृथक्कीकरण यानी घरों से सूखे और गीले कचरे का अलग-अलग कलेक्शन नहीं होने के साथ मैटीरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) सेंटर के संचालन में देरी ने भी स्थिति को खराब किया। हालांकि, रिहायशी से लेकर बाजार क्षेत्र में स्वच्छता व्यवस्था को बरकरार रखने और जलभराव से निपटने को नालियों की सफाई में पूरे नंबर मिले हैं।
बाइपास पर स्थित ट्रंचिंग ग्राउंड में करीब दस एकड़ जमीन पर कचरा फैला हुआ है। जिसके निस्तारण का काम अप्रैल 2025 से शुरू हुआ है। जबकि सर्वेक्षण 2024 से जुड़ा है। वहीं, कूड़ा अलग-अलग होने पर सूखे कचरे को (एमआरएफ) सेंटर में पहुंचाकर कांच, प्लास्टिंग, कपड़े, जूते आदि अलग किया जाता है। जबकि गीले कचरे को दूसरे प्लांट में भेज खाद तैयार की जानी थी।
निगम ने गौला रोखड़ में (एमआरएफ) केंद्र के लिए जगह तो तलाश ली। मगर अभी संचालन होना बाकी है। चिंता की बात ये है कि 2023 में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन को लेकर 99 प्रतिशत अंक मिले थे। लेकिन 2024 में आंकड़ा 60 प्रतिशत पहुंच गया। वहीं, एक अहम बिंदु आनलाइन फीडबैक देना भी था। स्वच्छता सर्वेक्षण की वेबसाइट पर जाने के बाद कई सवालों के जवाब देने थे। निगम को हल्द्वानी से 25 हजार लोगों का फीडबैक दिलवाना था। लेकिन वेबसाइट के प्रचार-प्रसार में लापरवाही के कारण करीब 7500 लोगों की ही राय शामिल हो सकी।
सर्वेक्षण के मानक कितने प्रतिशत अंक
- डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन -60 प्रतिशत
- आबादी क्षेत्र में सफाई -100 प्रतिशत
- कूड़ा पृथक्कीकरण -37 प्रतिशत
- बाजार क्षेत्र में सफाई -100 प्रतिशत
- अपशिष्ट उत्पादन बनाम प्रसंस्करण -44 प्रतिशत
- नालियों की सफाई -100 प्रतिशत
- सार्वजनिक शौचालयों की सफाई - 50 प्रतिशत
- कूड़ाघरों की स्थिति कितनी सही -43 प्रतिशत
हल्द्वानी तीन लाख श्रेणी वाले शहर में शामिल
केंद्रीय मंत्रालय की ओर से होने वाला सर्वेक्षण आबादी के हिसाब से शहरों की अलग-अलग श्रेणी बनाई जाती है। उस हिसाब से रैंक तय होती है। हल्द्वानी को 50 हजार से तीन लाख की आबादी वाले शहर की श्रेणी में डाला गया था। जिले से जुड़ी नगर पंचायत और नगर पालिका की प्रतिस्पर्धा कम आबादी वाले शहरों से थी।
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