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    आयुष चिकित्सक भी एलोपैथिक के समान वेतन के हकदार : सुप्रीम कोर्ट

    Ayush and Allopathic Doctors Pay Issue आयुष (Ayush doctors) और एलोपैथिक (Allopathic doctors) दोनों चिकित्सक को हाई कोर्ट उत्तराखंड (Uttarakhand High Court) के समान वेतन देने का आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एसएलपी दायर की थी।

    By Skand ShuklaEdited By: Updated: Fri, 25 Mar 2022 12:39 PM (IST)
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    Ayush and Allopathic Doctors Pay Issue : सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार की एसएलपी खारिज की

    जागरण संवाददाता, नैनीताल : आयुष (Ayush doctors) और एलोपैथिक  (Allopathic doctors) दोनों चिकित्सक समान वेतन के हकदार हैं। राज्य सरकार (Uttarakhand Government) इनमें भेदभाव नहीं कर सकती। सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए उत्तराखंड सरकार की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) को खारिज कर दिया। कोर्ट के इस निर्णय से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में नियुक्त करीब 300 आयुष चिकित्सक लाभान्वित होंगे।

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    समान वेतन पर हुई थी नियुक्ति

    राज्य सरकार ने 2012 में एलोपैथिक व आयुष चिकित्सकों को 25 हजार मासिक मानदेय के साथ पांच प्रतिशत वार्षिक वृद्धि के अनुबंध पर चिकित्सा अधिकारी के रूप में नियुक्त किया। बाद में सरकार ने सिर्फ एलोपैथिक चिकित्सकों का मानदेय बढ़ाकर 50 हजार कर दिया। आयुष चिकित्सकों के मानदेय में कोई वृद्धि नहीं की।

    हाई कोर्ट ने दिया था समान वेतन देने का आदेश

    नैनीताल जिले के मोटाहल्दू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात आयुष चिकित्सक संजय सिंह ने नैनीताल हाई कोर्ट (High Court Uttarakhand) में याचिका दायर कर सरकार के निर्णय को चुनौती दी। याचिका में कहा गया कि दोनों तरह के चिकित्सक समान वेतन के हकदार हैं। वर्ष 2018 में हाई कोर्ट ने दोनों चिकित्सकों को समान वेतन देने के आदेश पारित किए। इस निर्णय के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर चुनौती दी।

    राज्य सरकार की दलील एलोपैथिक का काम अधिक गंभीर

    सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष आयुष चिकित्सक के अधिवक्ता डा. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने तर्क दिया कि आयुष व एलोपैथिक चिकित्सकों की नियुक्ति मेडिकल अफसर के रूप में हुई है। नियुक्ति की विज्ञप्ति में यह साफ किया गया था। वहीं, राज्य सरकार ने दलील दी कि दोनों चिकित्सक अलग-अलग तरह का इलाज करते हैं। एलोपैथिक चिकित्सकों का काम अधिक गंभीर व महत्वपूर्ण है।

    जस्टिस विनीत सरन व जस्टिस माहेश्वरी की कोर्ट ने खारिज की याचिका

    सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विनीत सरन व जस्टिस माहेश्वरी की संयुक्त पीठ ने राज्य सरकार के तर्क को खारिज करते हुए कहा कि दोनों चिकित्सक मरीजों का इलाज अपनी-अपनी विधि से करते हैं। राज्य सरकार उनके बीच अंतर नहीं कर सकती। उपचार के आधार पर भेदभाव अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की एसएलपी को खारिज कर एलोपैथिक व आयुष चिकित्सकों को समान वेतन देने के नैनीताल हाई कोर्ट के निर्णय को सही करार दिया।