Updated: Thu, 02 Oct 2025 05:13 PM (IST)
धारी ब्लॉक के प्रशांत सिंह बिष्ट ने वैज्ञानिक तरीके से डेयरी फार्मिंग शुरू करके युवाओं के लिए मिसाल कायम की है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से डेयरी फार्मिंग शुरू कर वे हर महीने बीस हजार रुपये कमा रहे हैं। जर्सी और होलिस्टीन गायों से मिल्किंग मशीन द्वारा दूध निकालकर वे स्वच्छता और पशुओं के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं। उनका लक्ष्य डेयरी को बड़ा करके अन्य युवाओं को रोजगार देना है।
संवाद सहयोगी, जागरण, मुक्तेश्वर। धारी ब्लाक के सूपी गांव के 24 वर्षीय प्रशांत सिंह बिष्ट ने पारंपरिक पशुपालन को वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ जोड़कर स्वरोजगार का नया रास्ता चुना है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत शुरू की गई उनकी डेयरी फार्म अब न केवल उन्हें नियमित आमदनी दे रही है, बल्कि क्षेत्र के अन्य युवाओं के लिए भी प्रेरणा का केंद्र बन गई है।
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प्रशांत के मुताबिक, उन्होंने हल्द्वानी में कोचिंग से लेकर दुकानदारी तक के कई प्रयास किए, लेकिन जब संतोषजनक परिणाम नहीं मिले, तो वे अपने गांव लौट आए और डेयरी फार्मिंग को व्यवसाय के रूप में अपनाया। वर्तमान में वे जर्सी व होलिस्टीन नस्ल की चार गायों से मिल्किंग मशीन के माध्यम से दूध निकालते हैं। इससे स्वच्छता बनी रहती है और पशुओं को भी नुकसान नहीं होता।
उन्होंने बताया कि वह हर माह लगभग बीस हजार रुपये का लाभ अर्जित कर रहे हैं, जिससे ऋण की किश्तें चुकाने के साथ-साथ वे भविष्य के लिए भी योजना बना पा रहे हैं। प्रशांत ने बताया कि वे नियमित रूप से भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के विशेषज्ञों से संपर्क में रहते हैं और नई तकनीकों को अपने डेयरी प्रबंधन में शामिल कर रहे हैं। उनका लक्ष्य भविष्य में इस डेयरी को एक बड़े फार्म में बदलना है, ताकि अन्य बेरोजगार युवाओं और महिलाओं को भी इससे जोड़ा जा सके।
धारी, रामगढ़ और ओखलकांडा ब्लाक में प्रशांत सबसे कम उम्र के ऐसे युवा हैं जिन्होंने वैज्ञानिक विधियों से इसकी शुरुआत की है। उनके इस प्रयास को स्थानीय स्तर पर खूब सराहा जा रहा है और वे आज गांव में आत्मनिर्भरता की मिसाल बन चुके हैं।
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