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    अनाशक्ति आश्रम कौसानी में संगोष्‍ठी : वक्‍ताओं ने कहा- नई पीढ़ी में गांधी के प्रति अनास्था का विस्तार चिंताजनक

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Sun, 03 Oct 2021 03:54 PM (IST)

    संगीत नाटक अकादमी संस्कृति मंत्रालय और उत्तर प्रदेश गांधी स्मारक निधि के सहयोग से संगोष्ठी का आयोजन किया गया। अनाशक्ति आश्रम सभागार में आयोजित संगोष्ठी में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के कौसानी प्रवास पर लंबी चर्चा हुई। इस दौरान वक्ताओं ने अपने विचार रखे ।

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    अनाशक्ति आश्रम कौसानी में संगोष्‍ठी : वक्‍ताओं ने कहा- नई पीढ़ी में गांधी के प्रति अनास्था का विस्तार चिंताजनक

    बागेश्वर, जागरण संवाददामा : संगीत नाटक अकादमी संस्कृति मंत्रालय और उत्तर प्रदेश गांधी स्मारक निधि के सहयोग से संगोष्ठी का आयोजन किया गया। अनाशक्ति आश्रम सभागार में आयोजित संगोष्ठी में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के कौसानी प्रवास पर लंबी चर्चा हुई। देश के विभिन्न हिस्सों से आए वक्ताओं ने अपने विचार रखे और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयाजित हुए।

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    अकादमी के सहायक निदेशक तेज स्वरूप त्रिवेदी ने कहा कि महात्मा गांधी व्यक्ति नहीं अपितु विचार थे। एक ऐसा विचार जिसमें आधुनिक भारत के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। गांधी का मानना था कि साहित्य एवं संगीत संस्कृति के दो महत्वपूर्ण अंग हैं। दूरदर्शन के पूर्व अपर महानिदेशक शरद दत्त ने कहा कि सिनेमा, साहित्य या जीवन का दूसरा क्षेत्र हो, सभी पर महात्मा गांधी के जीवन का खूब प्रभाव पड़ा है। सिनेमा पर प्रभाव का कारण गांधी के जीवन पर बहुत फिल्में बनाई गई हैं। जिसका भारतीय जनमानस पर भी प्रभाव रहा।

    नई पीढ़ी में गांधी के प्रति अनास्था का विस्तार हो रहा है यह चिंताजनक है। हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य संजय मिश्रा ने कहा कि भारतीय जनमानस और संस्कृति कठिन दौर से गुजर रही है। गांधी के स्वालंबन की अवधारणा पर चलकर अस्मिता और विकास के लक्ष्य प्राप्त हो सकते हैं। भाषा साहित्य एवं संस्कृति के वरिष्ठ प्रबंधन नलिनी विकास ने कहा कि संगीत उनके जीवन में नहीं होता तो वे बोझ तले दबकर मर जाते। इस मौके पर प्राचार्य अजय पाठक, अनिल कुमार सिंह, गांधी स्मारक निधि के संचालक मंडल के सदस्य कृष्णा सिंह बिष्ट आदि मौजूद थे।