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कांग्रेस में सोशल तंज, भाजपा का सोशल रंज

हल्द्वानी : त्योहारी सीजन का उल्लास, गुनगुनी ठंड की दस्तक और चुनाव का गर्मागर्म मौसम।

By JagranEdited By: Published: Tue, 06 Nov 2018 07:30 AM (IST)Updated: Tue, 06 Nov 2018 07:30 AM (IST)
कांग्रेस में सोशल तंज, भाजपा का सोशल रंज
कांग्रेस में सोशल तंज, भाजपा का सोशल रंज

हल्द्वानी : त्योहारी सीजन का उल्लास, गुनगुनी ठंड की दस्तक और चुनाव का गर्मागर्म मौसम। रूठना-मनाना, जुटाना, घर छोड़ना और वापसी यह सब चुनावी रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है। निकाय चुनाव के इस रण में कांग्रेस-भाजपा तो आमने-सामने हैं ही, मगर अपने ही अंदर से दोनों दल अंदर वालों से ही जूझ रहे हैं। इन सबके लिए औजार बना हुआ है सोशल मीडिया। टिकट में मात खाए या सामने भड़ास न निकाल पाने वाले पार्टी जन फेसबुक व वाट्सएप पर 'कोल्ड वार' छेड़े हैं। वहीं भाजपा के लिए ताजा मीटू कांड गले की फांस बन रहा है।

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राज्य में निकाय चुनाव में वैसे तो सभी सीटों पर भाजपा व कांग्रेस ही आमने-सामने हैं। कई जगहों पर निर्दलीय या असंतुष्ट भी खम ठोंक रहे हैं। दोनों दलों का फोकस नगर निगमों पर अधिक है। यही वजह है कि कुमाऊं में हल्द्वानी, रुद्रपुर एवं काशीपुर निगमों पर दोनों दल जबरदस्त रणनीति के तहत आगे बढ़ रहे हैं। स्टार प्रचार को आने लगे हैं और स्थानीय क्षत्रप पूरा जोर लगाए हैं। कुमाऊं की व्यवसायिक व राजनीति राजधानी हल्द्वानी सीट से नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश, परिवहन मंत्री यशपाल आर्य, पूर्व मंत्री बंशीधर भगत की प्रतिष्ठा दांव पर है। खुद दोनों दावेदार सुमित हृदयेश व डॉ. जोगेंद्र रौतेला पूरा जोर लगाए हुए हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिहाज से सबसे बड़ी चुनौती भितरघात का डंक अभी धीमा नहीं पड़ा है। सोशल मीडिया में यह डंक गुटबाजी को भी उजागर कर रहा है। टिकट न मिलने से नाराज और मनाने से मान गए पूर्व दर्जा मंत्री ललित जोशी जिस जन समर्थन के बूते खुद मैदान में कूदने वाले था, वह जन सुमित के साथ खड़ा नजर नहीं आ रहा। वहीं हरीश रावत गुट से और उनके करीबी प्रदेश महामंत्री खजान पांडेय सोशल मीडिया इशारों में पार्टी के साथ-साथ प्रत्याशी पर लगातार तंज कस रहे हैं। अपनी पीड़ा को शब्द देकर वह सोशल मीडिया के हवाले कर एक अलग माहौल शुरू से अब तक बना रहे हैं।

दूसरी ओर ऐन चुनाव के वक्त भाजपा का मीटू बवंडर कहीं न कहीं प्रदेश भर के प्रत्याशियों के साथ-साथ डॉ. जोगेंद्र के लिए भी मुसीबत का सबब तो है ही। भाजपा के सोशल प्रचार में जहां राज्य व केंद्र के कामों का जिक्र अधिक हो रहा था, अब यहां मीटू को लेकर पोस्ट की भरमार अधिक हो गई है। देहरादून में संघ पदाधिकारी के मीटू प्रकरण ने भाजपा के महिला सुरक्षा एवं उनके लिए योजनाओं की बातों का रंग फीका कम कर दिया है। जिन्हें टिकट न मिल सका था वह अनुशासन के डंडे से भले ही चुप हो, लेकिन मन में वहां भी बहुत कुछ चल रहा है।


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