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आय से अधिक संपत्ति मामले में संयुक्त आयकर आयुक्त श्वेताभ सुमन की सजा बरकरार

Shwetabh Suman disproportionate assets case आयकर अधिकारी श्वेताभ सुमन (Shwetabh Suman) पर 2005 में गुमनाम शिकायती पत्र के आधार पर दिल्ली में मुकदमा दर्ज किया गया था। 2014 में सीबीआइ ने श्वेताभ के 14 ठिकानों पर छापा मारा था। तब उनके पास आय से अधिक संपत्ति मिली थी।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 06 Mar 2022 08:57 AM (IST)Updated: Sun, 06 Mar 2022 08:57 AM (IST)
श्वेताभ सुमन (Shwetabh Suman) समेत तीन का बेल बांड खारिज, हिरासत में लेने के आदेश

जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने आय से अधिक संपति के मामले के आरोपित 1998 बैच के आयकर अधिकारी श्वेताभ सुमन (Shwetabh Suman) व अन्य की अपीलों पर सुनवाई की। न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ ने श्वेताभ की सीबीआइ कोर्ट से सुनाई गई सात साल कारावास व 3.70 करोड़ जुर्माने की सजा को बरकरार रखा है। साथ ही दो अन्य डा.अरुण कुमार सिंह व विक्रम सिंह का भी जमानत बांड खारिज कर तीनों को हिरासत में लेने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने जुर्माना अदा नहीं करने पर दो माह की अतिरिक्त कारावास के भी आदेश दिए हैं। Shwetabh Suman disproportionate assets case

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मामले में 2005 में गुमनाम शिकायती पत्र के आधार पर आयकर अधिकारी श्वेताभ सुमन के खिलाफ दिल्ली में मुकदमा दर्ज किया गया। उसके बाद 2014 में सीबीआइ ने श्वेताभ के 14 ठिकानों पर छापा मारा। तब वह संयुक्त आयुक्त के पद पर तैनात थे। जांच में सीबीआइ ने पाया कि श्वेताभ के पास आय से 337 प्रतिशत अधिक संपत्ति है। यह संपत्ति गाजियाबाद, झारखंड, बिहार व देहरादून में स्थित है। इस संपत्ति को उन्होंने अपनी माता व जीजा के नाम किया था। मां गुलाबो देवी के नाम दिल्ली में एक होंडा सिटी कार भी फाइनेंस कराई थी। फाइनेंस कराने में जो दस्तावेज लगाए गए थे, उनमें फोटो अपनी मां और पेपर किसी अन्य के लगाए थे।

श्वेताभ ने गरीबों की मदद के लिए अरविंद सोसायटी का रजिस्ट्रेशन कराया था। जिसमें उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए डोनेशन लिया। बाद में उस धन को अपनी पत्नी व मां के खाते में ट्रांसफर कर लिया। 13 फरवरी 2019 को सीबीआइ देहरादून की विशेष अदालत ने श्वेताभ सुमन को सात साल कारावास और तीन करोड़ 70 लाख रुपया जुर्माने की सजा सुनाई। कोर्ट ने सुमन की माता को एक साल, जीजा और दो दोस्तों को चार-चार साल की सजा सुनाई। इसी आदेश के खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट में अपील दायर की थी।


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