यूरोपियन मध्यमवर्गीय बच्चों का पहला कॉलेज है शेरवुड, यहां से परमवीर चक्र मेजर सोमनाथ शर्मा, मानेक शा और अमिताभ बच्चन जैसी हस्तियां पा चुकीं शिक्षा
मूल रूप से यह मध्यम वर्गीय अंग्रेज बच्चों के लिए आरम्भ किया गया था। डॉ कोडन तथा एचएस रीड को इसकी स्थापना का श्रेय जाता है तथा रेवरेंड रॉबर्ट मिलमैन संरक्षक के रूप में प्रेरणा स्रोत थे। शुरू में इस विद्यालय को डायसन स्कूल नाम दिया गया।

नैनीताल, किशोर जोशी। शेरवुड कॉलेज यूरोपियन बच्चों के लिए नैनीताल का पहला विद्यालय रहा है। इसकी स्थापना जुलाई 1867 में हुई थी। मूल रूप से यह मध्यम वर्गीय अंग्रेज बच्चों के लिए आरम्भ किया गया था। डॉ कोडन तथा एचएस रीड को इसकी स्थापना का श्रेय जाता है तथा रेवरेंड रॉबर्ट मिलमैन संरक्षक के रूप में प्रेरणा स्रोत थे। शुरू में इस विद्यालय को डायसन स्कूल नाम दिया गया तथा मिस ब्रेडबेरी ने इसे बालक बालिकाओं के लिए पीटरशील्ड शुरू किया गया। पीटरशिल्ड में आजकल एमएल साह बालिका विद्या मंदिर है। प्रारंभिक सफलता के बाद प्रबंध समिति ने बालकों के लिए स्टोनले नामक स्थान पर प्रथक विद्यालय की स्थापना की।
यहां प्रथम प्रधानाचार्य रेवरेंड ई बेस्टन (1880 से 1889 तक) के नेतृत्व में विद्यालय का द्रुत गति से विकास हुआ। तत्पश्चात 1873 में स्कूल द्वारा शेरवुड इस्टेट खरीद ली गई। नव स्थापना के बाद स्कूल की कुछ कक्षाएं लॉंगव्यू नामक बंगले में शुरू की गई और कुछ शेरवुड हाउस या आज के राजभवन परिसर में समायोजित की गई। इस बदलाव के साथ स्कूल का नाम बदलकर शेरवुड कॉलेज कर दिया गया। 1895 में स्कूल का स्थानांतरण बार्नस्डेल नामक इमारत, जहां आज उच्च न्यायालय है, वहां कर दिया गया।
इतिहासकार प्रो अजय रावत के अनुसार दुर्भाग्यवश 1896 में ईस्टर की प्रातः प्रारंभिक समय में ही इमारत में आग से जलकर खाक हो गई। तत्पश्चात विद्यालय को खुर्पाताल स्थानांतरित किया गया किंतु वहां भी स्थाई रूप से स्थापित नहीं हो सका। यहां पर स्कूल के छात्रों को हैजा की महामारी का सामना करना पड़ा और प्रधानाचार्य रेवरेंड ई मुनरो की रैमजे अस्पताल में मृत्यु हो गई। इस महामारी के फलस्वरूप शेरवुड कॉलेज को वापस नैनीताल लाया गया और तीन बंगलों टोंची, स्नोव्यू व सेंट क्लाउड में प्रारम्भ किया गया। इन संघर्षों से जूझते हुए अंत में स्कूल को स्थाई स्थान मिल गया। प्रबंधन समिति ने अयारपाटा में भूमि क्रय कर शेरवुड की स्थापना स्थाई रूप से कर दी। 1897 में इसकी नींव लखनऊ के लॉर्ड बिशप एल्फ्रेड ने रखी। आज स्कूल का नाम भारत के बेहतरीन स्कूलों में आता है। मेजर सोमनाथ शर्मा ( मरणोपरांत परमवीर चक्र) फील्ड मार्शल मानेक शा व सदी के महानायक अमिताभ बच्चन जैसी हस्तियों ने इसी विद्यालय से शिक्षा ग्रहण की। प्रधानाचार्या अमनदीप संधू के अनुसार कॉलेज में अत्याधुनिक शिक्षा दी जा रही है। विदेशी नामी शिक्षण संस्थानों के साथ करार किया गया है।
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