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    Navratri 2022: हल्द्वानी में हरियाली के बीच विराजित हैं मां शीतला, अनूठा है मंदिर की स्थापना का इतिहास

    By JagranEdited By: Rajesh Verma
    Updated: Sun, 25 Sep 2022 08:01 PM (IST)

    Navratri 2022 शीतला मंदिर देवी हल्द्वानी-नैनीताल मार्ग से 800 मीटर पैदल चलकर मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। यहां सालभर भक्त पहुंचते हैं। सच्चे मन से की ग ...और पढ़ें

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    Navratri 2022: नवरात्र में यहां विशेष आयोजन होते हैं।

    जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : Navratri 2022: अपने नाम के अनुरूप शीतला माता हरे-भरे जंगल के बीच हल्द्वानी से आठ किमी दूर रानीबाग नामक स्थान पर विराजित हैं। शीतला मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है। हल्द्वानी-नैनीताल मार्ग से 800 मीटर पैदल चलकर मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। यहां सालभर भक्त पहुंचते हैं। नवरात्र में यहां विशेष आयोजन होते हैं। भक्तों की लंबी कतार शीतला मां के प्रति श्रद्धा व आस्था को प्रकट करती है। हरी-भरी वाटिका व पेड़ों के बीच विराजित मां के दर्शन से भक्तों की सारी थकान मिट जाती है।

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    ऐसा है इस मंदिर का इतिहास

    भीमताल के पंडितों ने गांव में शीतला माता मंदिर बनाने की ठानी। बनारस से मूर्ति ला रहे थे। पैदल चलते उन्हें रात हो गई। रानीबाग के गुलाबघाटी में उन्होंने रात्रि विश्राम किया। कहा जाता है कि एक व्यक्ति ने इसी जगह मां की स्थापना का सपना देखा। सुबह अपने साथियों को बताया। उन्हें इस बात पर भरोसा नहीं हुआ। उन्होंने मूर्ति उठानी शुरू की, लेकिन उसे हिला नहीं सके। बाद में यहीं मंदिर की स्थापना हुई।

    महात्म्य भी जानें

    स्कंदपुराण के मुताबिक शीतला देवी का वाहन गर्दभ है। वह अपने हाथ में सूप, कलश, झाड़ू व नीम के पत्तों को धारण करती हैं। मां शीतला को चेचक यानी चिकनपाक्स व उसके जैसी दूसरी बीमारियों की देवी के रूप में वर्णित किया गया है। इनका प्रतीकात्मक महत्व है। सूप से हवा लगाई जाती है, झाडू से चिकन पाक्स को फोड़ा जाता है। नीम के पत्ते फोड़े को सड़ने नहीं देते। कुमाऊं में शीतला देवी के गिनती के मंदिर हैं।

    शीतला मंदिर माता का पावन धाम है। यहां सालभर भक्त पहुंचते हैं। मनौती के लिए प्रार्थना करते हैं। सच्चे मन से की गई प्रार्थना माता शीतला अवश्य सुनती हैं। माता की महिमा यहां पहुंचने वाले खुद महसूस भी करते हैं।

    -हरीश चंद्र पाठक, पुजारी शीतला माता मंदिर