बची सिंह रावत की राजनीतिक विरासत का चेहरा बनेंगे भाजयुमो के नए प्रदेश अध्यक्ष शशांक
Uttarakhand BJP News working committee मूल रूप से रानीखेत के रहने वाले शशांक रावत का हल्द्वानी के करायल जौलासाल में भी आवास है। वैसे तो वह सीधे तौर पर सक्रिय राजनीति में नहीं नजर आते थे लेकिन पार्टी ने उन्हें लीगल सेल का प्रदेश संयोजक बनाया था।

गणेश जोशी, हल्द्वानी : Uttarakhand BJP News working committee : केंद्रीय राज्य मंत्री रहे स्वर्गीय बची सिंह रावत (Bachi Singh Rawat) के पुत्र शशांक रावत (Shashank Rawat) को पार्टी ने अहम जिम्मेदारी दी है। उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। जबकि इस पद के लिए कई तेज तर्रार युवा नेता पूरा जोर लगाए हुए थे।
यह पद जहां पार्टी के लिए बचदा की सादगी भरी राजनीति का सम्मान बताया जा रहा है, वहीं 30 वर्षीय शशांक के लिए विनम्र स्वभाव और पार्टी के लिए समर्पित रहने का इनाम भी है।
मूल रूप से रानीखेत के रहने वाले शशांक रावत का हल्द्वानी के करायल जौलासाल में भी आवास है। वैसे तो वह सीधे तौर पर सक्रिय राजनीति में नहीं नजर आते थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें लीगल सेल का प्रदेश संयोजक बनाया था। इसके अतिरिक्त वह पार्टी व आरएसएस के जुड़े कार्यक्रमों को पूरे समर्पित भाव से करते रहे।
2022 के विधानसभा चुनाव में रानीखेत से टिकट के दावेदार भी थे, लेकिन उन्हें इस क्षेत्र में कई काम दिए गए थे। जिन्हें उन्होंने बखूबी निभाया था। सबसे अच्छी बात उनकी यह है कि वह अपने पिता बची सिंह रावत बचदा की तरह ही विनम्र रहते हैं। संघ में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है।
यही कारण रहा है कि पार्टी ने कई पुराने चेहरों को दरकिनार कर शशांक को युवा मोर्चें के अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी। जबकि इस पद पर नैनीताल जिले से भाजयुमो के प्रदेश उपाध्यक्ष रह चुके विकास भगत, सचिन साह, पौड़ी से विपिन मंडोलिया, सुधीर जोशी के अतिरिक्त दीपेंद्र कोश्यारी का नाम भी चर्चा में था।
कौन थे बची सिंह रावत
रानीखेत में 1949 में जन्मे बची सिंह रावत बचदा पहली बार 1991 में रानीखेत से विधायक बने थे। तब अविभाजित उत्तर प्रदेश में राजस्व मंत्री भी रहे। इसके बाद वह फिर इसी क्षेत्र से विधायक चुने गए।
वर्ष 1996 में अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ा। तब कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत को पटखनी दी थी। फिर दो बार हरीश रावत को हराया और केंद्र की राजनीति करते रहे।
तीन बार हरीश रावत को हराने के बाद चौथी बार उनकी पत्नी रेणुका रावत को भी परास्त किया था। अटल बिहारी बाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते हुए केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री व बाद में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी राज्य मंत्री बने।
2009 में नैनीताल-ऊधम सिंह नगर से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए थे। वह पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष समेत कई अहम पदों पर रहे, लेकिन उन्होंने राजनीति में अपनी अलग छवि बनाए रखी। वह ऊंचे पद पर रहते हुए भी बेहद सादगी भरा जीवन जीते रहे और विनम्रता उनका मूल स्वभाव बना रहा।
2021 में उनका निधन हो गया था, लेकिन पार्टी को अब तक प्रदेश में बचदा की छवि वाला नेता नहीं मिला है। इस छवि को लोगों के जेहन में बनाए रखा जा सके। यही कारण है कि पार्टी ने उनके पुत्र को संगठन में अहम जिम्मेदारी दे दी है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।