हल्‍द्वानी, जागरण संवाददाता : गोवर्धन मठ पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने हल्द्वानी में प्रबुद्धजनों को संबोधित करते हुए विभिन्‍न विषयों पर खुलकर अपने विचार रखे। धर्मनिरपेक्ष शब्द की उपयोगिता के सवाल पर जगतगुरु ने कहा, शब्द के अतिरिक्त जिसका कोई अस्तित्व न हो। जिसका कोई अर्थ न सिद्ध होता है उसका नाम विकल्प है। धर्मनिरपेक्ष शब्द है। यह कोई व्यक्ति, वस्तु भी हो सकता है। गुण, धर्म की प्रतिष्ठा से वस्तु व व्यक्ति की उपयोगिता है। धर्मनिरपेक्ष केवल शब्द है। इसलिए धर्मनिरपेक्षता पागलपन, विडंबना व धोखा है।

तपोभूमि को भोग भूमि बना देना गलत

जगतगुरु बोले, तपोभूमि को भोग भूमि बना देना विकास की परिभाषा बन गई है। जनता भी इसी में सम्मिलित है। पुरी में हवाई अड्डे की बात की जा रही थी। हमने विरोध किया तो सभी कहने लगे शंकराचार्य विकास के मार्ग में अवरोध उत्पन्न कर रहे हैं। बोले, पृथ्वी, पवन, प्रकाश, पानी को महा यंत्रों से विकृत कर दिया गया है। इसी का परिणाम कोरोना रूपी उपहार है।

गोरक्षा के लिए हमारी व्यूह रचना जारी

शंकराचार्य बोले, गोवंश की वेदना हमें हैं। शंकराचार्य पद पर आने से पहले गोवंश के लिए 52 दिन जेल में रहे। हमारे पूर्वज स्वामी करपात्री महाराज ने भी यातना सही। हम उस परंपरा के हैं। गाय के नाम पर पर्याप्त यातना सह चुके हैं। हम व्यूह रचना कर रहे हैं। हमारी संस्कृति के अनुसार शासन तंत्र हो तभी गोवंश की रचना हो सकती है। गोरक्षक दल बने। जब राजनेता देखेंगे कि गोरक्षक विजयी हो रहे हैं। गोरक्षा के लिए आवाज बुलंद हो रही है, ये भी हां में हां करेंगे। लहर पैदा करना हमारा काम है, अनुगमन करने के लिए शासन तंत्र बाध्य हैं। कृषि कानूनों की वापसी इसका उदाहरण है।

Edited By: Skand Shukla