शहनाज हत्याकांड : शव के जलने तक कूड़े के ढेर में बैठा रहा हैवान मुसर्रत
शहनाज हत्याकांड में पति मुसर्रत ने कुल्हाड़ी से पहले पत्नी को मौत के घाट उतारा। शव को टुकड़े कर टं्रचिंग ग्राउंड पहुंचा। जहां शव के पूरी तरह जलने तक वह कूड़े के ढेर में छिपकर बैठा रहा।
हल्द्वानी, जेएनएन : शहनाज हत्याकांड चार साल पहले सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा। वजह तलाकशुदा पति मुसर्रत की हैवानियत थी। जिसने कुल्हाड़ी से पहले पत्नी को मौत के घाट उतारा। फिर चाकू से गला रेता धड़ अलग कर दिया। दोनों हिस्सों को बोरे व बैग में भरकर टं्रचिंग ग्राउंड पहुंचा। जहां शव के पूरी तरह जलने तक वह कूड़े के ढेर में छिपकर बैठा रहा। फिर कुछ समय को हल्द्वानी से गायब रहा। गुमशुदगी दर्ज होने के 82 दिन तक वह पुलिस को बरगलाता रहा। पर बाद में पुलिस के जाल में फंस गया।बेटी व उसके मासूम बच्चों के मिलने की आस में मां साबरा गुमशुदगी दर्ज होने के बाद अक्सर बड़ी उम्मीद के साथ थाने पहुंचती थी। मुसर्रत पर शक जाहिर करने की वजह शहनाज से उसका तलाक होना था। दरअसल, शहनाज व पति के बीच शादी के बाद से बनती थी। मुसर्रत पहले से शादीशुदा था। जून 2013 में शहनाज से हुई शादी अक्टूबर में टूट गई। रजिस्टर्ड तलाकनामे की शर्त के मुताबिक दो लाख रुपये भरण-पोषण के लिए दिए जाने थे। 50 हजार शहनाज को मिले, लेकिन डेढ़ लाख बकाया को लेकर मुसर्रत लगातार बहाने बनाता रहा। जबकि शहनाज अक्सर तकाजा करती थी। पैसे देने से बचने के लिए हत्या की पूरी प्लानिंग रची गई।
छह अगस्त को मुसर्रत ने अपनी पहली बीवी व बच्चों को पहले ससुराल भेज दिया। जिसके बाद बहाना बनाकर शहनाज को घर पर बुलाया। जहां पहले से कुल्हाड़ी, चाकू व बोरा रखा था। जिसके बाद शहनाज बच्चों को लेकर उसके घर पहुंच गई। रात को सोते ही सबसे पहले शहनाज के सिर पर कुल्हाड़ी से वार किया गया। उसके बाद चाकू से कसाई के तरह गला काट अलग किया गया। मुसर्रत का घर पटरी से बिलकुल सटा था। लिहाजा रात के अंधेरे में बोरों व बैग में भरा शव लेकर जाते किसी ने देखा नहीं था। जिसके बाद कमरे में रखे पेट्रोल का गैलन छिड़क शव को पूरी तरह आग के हवाले कर दिया गया।
अल्फेज को दिल्ली व अल्फीशा को हापुड़ छोड़ा : पूर्व पत्नी को मौत के घाट उतारने के बाद मुसर्रत अपने घर पहुंचा। जिसके बाद पौ फटते ही पांच साल के अल्फेज व तीन साल की अल्फीशा को लेकर रोडवेज से दिल्ली की बस में बैठ गया। जिसके बाद दिल्ली आनंद विहार बस अड्डे पर अल्फेज को छोड़ निकल गया। जबकि अल्फीशा को हापुड़ में सड़क किनारे खड़ा कर भाग निकला। दिल्ली व हापुड़ बच्चों ने लावारिश बच्चों को अपना घर नामक एनजीओ के सुपुर्द कर दिया। छोटे होने होने के कारण वह मां-बाप के बारे में एनजीओ को कुछ बता नहीं सकें। 22 अक्टूबर को जब मुसर्रत को तत्कालीन बनभूलपुरा थानाध्यक्ष नीरज भाकुनी ने गिरफ्तार किया तो उसने सारी कहानी बयां कर दी। जिसके बाद पुलिस ने दिल्ली व हापुड़ से दोनों बच्चों को बरामद कर नानी साबरा बेगम के हवाले कर दिया। केस की विवेचना भाकुनी ने की थी।
थाने पहुंचने पर आते फोन : मां के शक जाहिर करने की वजह से पुलिस कई बार मुसर्रत को थाने पूछताछ को लाई। हर बार वह अपने शातिर दिमाग से पुलिस को चमका दे देता। अक्सर उसके थाने पहुंचते ही कई स्थानीय नेता उसकी पैरवी में जुटे जाते थे। शासकीय अधिवक्ता नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि मुसर्रत की निशानदेही पर मृतका की हड्डिया बरामद हुई। इसके अलावा दोनों बच्चे भी मिले। शहनाज की हत्या में मामले में तमाम साक्ष्य मुसर्रत के खिलाफ थे। जिस वजह से उसे आजीवन कारावास की सजा मिली।
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