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    देश सेवा के लिए समर्पित हुआ शहीद ज्याला का परिवार, पिता की शहादत के बाद दोनों बेटे सेना में अफसर बने

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Sun, 15 Nov 2020 10:56 PM (IST)

    उत्तराखंड में ऊधमसिंहनगर जिले के खटीमा भूड महोलिया निकट थारू विकास भवन निवासी सूबेदार कृष्ण सिंह ज्याला तीन कुमाऊं रेजीमेंट जम्मू-कश्मीर में तैनात थे ...और पढ़ें

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    सूबेदार कृष्ण सिंह ज्याला 25 अगस्त 2015 को कुपवाड़ा सेक्टर अनंत गांव में शहीद हो गए थे। फाइल फोटो

    खटीमा, राजू मिताड़ी : भारत मां की रक्षा करने वाले वीर योद्धाओं की कुमाऊं में लंबी फेहरिस्त है । हम आपको ऐसे ही एक वीर की कहानी बता रहे हैं। जिसने भारतीय सेना में शामिल होने के बाद सरहद की रक्षा करते समय अपनी शहादत ही नहीं दी, बल्कि पहले से ही अपने दो बेटों को सेना में भर्ती होने के लिए कुंदन की तरह तपा दिया था। उनका सपना था कि उनके दोनों बेटे सेना में भर्ती होकर देश सेवा करें। शहादत के बाद उनका सपना परिजनों ने जिंदा रखा । मां ने सेना में भेजने के लिए किसी तरह का संकोच नहीं किया। दोनों बेटों को ना सिर्फ पूरी शिक्षा दिलाई बल्कि सेना में जाने के लिए पूरी शिद्दत से जुट गई। वही बेटों ने भी पिता के सपनों को साकार करते हुए सैन्य अधिकारी बनने का गौरव हासिल किया ।

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    उत्तराखंड में ऊधमसिंहनगर जिले के खटीमा भूड महोलिया निकट थारू विकास भवन निवासी सूबेदार कृष्ण सिंह ज्याला तीन कुमाऊं रेजीमेंट जम्मू-कश्मीर में तैनात थे । उनकी रेजीमेंट जम्मू कश्मीर के पाक सीमा पर कुपवाड़ा सेक्टर में देश की सीमा की सुरक्षा में तैनात थी। वह 25 अगस्त 2015 को कुपवाड़ा सेक्टर अनंत गांव के पास ड्यूटी पर तैनात थे। तभी देश के दुश्मन पाकिस्तान की ओर से फायरिंग हुई । जिसमें वे आतंकवादियों से लोहा लेते हुए देश को अपनी शहादत दे दी। उनके पिता हरक सिंह ज्याला भी सेना में ही थे।

     

    कृष्ण की शहादत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, लेकिन देश के लिए मर मिटने के परिजनों के जज्बे में कोई कमी नहीं आई। शहीद की पत्नी वीरनारी हीरा ज्याला ने बच्चों को बेहतरीन परवरिश दी कभी भी उनके हौसलों को टूटने नहीं दिया ।शहीद ज्याला का सपना था कि उनके बच्चे भी फौज में अफसर बनकर देश सेवा करें । इसलिए बच्चों को घोड़ाखाल स्कूल में शिक्षा दिलाई।

     

    हीरा ने पति का यह सपना खूब याद रखा और पूरा करने में जुट गई । उनके मजबूत इरादों व लगन के अनुरूप बेटों ने भी पिता के सपने को पूरा करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी । बड़ा बेटा सूरज नौसेना में लेफ्टिनेंट है । बड़े बेटे के सेना में अधिकारी बनने के बाद मां ने छोटे बेटे नीरज को भी सेना में जाने के लिए प्रेरित किया। पिता की शहादत व मां के जज्बे का सम्मान करते हुए नीरज ने भी सैन्य अधिकारी बनने का मां-बाप का सपना पूरा किया। वर्तमान में वह नौसेना में अधिकारी की पुणे खड़कवासला में ट्रेनिंग कर रहे हैं । देश सेवा के लिए समर्पित सीमांत की वीर भूमि का यह परिवार आज तमाम युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत है।

     

    बचपन से ही देश सेवा का पाठ पढ़ाते थे पिताजी

    खटीमा-नौसेना मुंबई में तैनात लेफ्टिनेंट सूरज ज्याला ने बताया कि पिता की शहादत पर दुख है। उनकी जगह कोई नहीं ले सकता। वह हमें हमेशा से देश सेवा का पाठ पढ़ाते रहे । पिता की शहादत की गौरव गाथा सुनते ही उनका सीना और चौड़ा हो जाता है कि उनके पिता ने राष्ट्र की रक्षा में अपनी कुर्बानी दी है। छोटा भाई भी सेना में अफसर हो गया है । हमें शहीद पिता के बेटे होने का गर्व है।

     

    पिता की शहादत के बाद सेना में जाने का लिया प्राण

    खटीमा- एनडीएम में चयन होने के बाद पुणे में सैन्य अधिकारी का प्रशिक्षण ले रहे हैं नीरज सिंह ज्याला बताते हैं कि उन्होंने अपने पिता का सपना सरकार कर दिया है । जब भी उनके पिता छुट्टियों पर घर आते थे तो सीमा पर होने वाली मुठभेड़ में दुश्मनों को मार गिराने की कहानियां सुनाते थे। देश की रक्षा के लिए वह हमेशा जोश भर देते थे। उन्होंने पिता के विजन को अपना लक्ष्य बना लिया। पिता की शहादत के बाद उनके इरादों को और मजबूती मिली तभी उन्होंने तय कर लिया कि अब वह भारतीय सेना में शामिल होकर देश की रक्षा करेंगे।

     

    बुलंद है शहीद की पत्नी के इरादे

    खटीमा-जब परिवार की जिम्मेदारी उठाने वाले की ही मौत हो जाए तो पूरा घर टूट जाता है, लेकिन यहां शहीद की पत्नी हीरा को पति के जाने का गम तो हुआ पर देश के लिए कुर्बान हुए इस बात ने उनके इरादों को मजबूत कर दिया । उन्होंने पति के सपनों को हकीकत में बदलने के लिए ना सिर्फ बेटों में देशभक्ति का जज्बा पैदा किया बल्कि उनके सपनों की उड़ान को नई ऊंचाई दी। शहीद की पत्नी के बुलंद इरादों का हर कोई कायल है। वह कहती हैं परिवार की जिम्मेदारियों के साथ ही देश सेवा के लिए जज्बा बेटे में तैयार करना हर मां का संकल्प होना चाहिए।