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    चम्पावत में नदी में बहाया जा रहा सीवर, अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही लोहावती नदी

    By Prashant MishraEdited By:
    Updated: Thu, 26 Aug 2021 05:47 PM (IST)

    जीवनदायनी कही जाने वाली लोहावती नदी भी इसी लापरवाही का दंश झेल रही है। नदी में गंदगी का अंबार है। शहर के ज्यादातर इलाके का कचरा नदी में समा रहा है। प्रदूषण इस कदर है कि लोग इस नदी में स्नान करने से भी हिचक रहे हैं।

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    नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए अभी तक कोई ठोस पहल अभी तक नहीं हो सकी है।

    जागरण संवाददाता, चम्पावत : प्रशासन और आस-पास रहने वाले लोगों की लापरवाही से जिले में बहने वाली नदियों का जल भी दूषित हो गया है। गंदगी व कूड़े के अंबार से पटी बड़ी नदियों का आकार सिमट रहा है तो छोटी नदियां नाले का रूप ले चुकी हैं। नगरों के बीच से बहने वाला सीवर का पानी नदियों में छोड़ दिए जाने से उनका जल आचमन लायक भी नहीं है। जीवनदायनी कही जाने वाली लोहावती नदी भी इसी लापरवाही का दंश झेल रही है। नदी में गंदगी का अंबार है। शहर के ज्यादातर इलाके का कचरा नदी में समा रहा है। प्रदूषण इस कदर है कि लोग इस नदी में स्नान करने से भी हिचक रहे हैं। नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए अभी तक कोई ठोस पहल अभी तक नहीं हो सकी है।

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    लोहावती का उद्गम पाटन के शंख पाल नामक स्थान और फोर्ती के मायावती के जंगलों से होता है। दो अलग-अलग धाराएं इस नदी का निर्माण करती हैं। लोहाघाट तक पहुंचते-पहुंचते इस नदी में कई अन्य नाले मिलकर इसके आकार को बड़ा कर देते हैं। लेकिन लोहाघाट नगर में प्रवेश करते ही नदी में सीवरेज का पानी मिल जाता है। इससे पहले पाटन, प्रेमनगर, छमनियां आदि स्थानों में भी लोग सीवर का पानी इस नदी में बहाते हैं। फलस्वरूप नदी का पानी दूषित हो चुका है। प्लास्टिक का कचरा बरसाती नालों के किनारे फेंके जाने से वह बहकर लोहावती तक पहुंच रहा है। लोहाघाट में लाश घर के पास बने नाले, कोली पुल, शिवालय मंदिर के पास बने नाले से क्षेत्र की गंदगी बहकर इसी नदी में आ रही है। यही नहीं लोहावती नदी के किनारे श्मशान घाट है। जहां विभिन्न गांवों से शवों को अंतिम संस्कार के लिए लाया जाता है। शवों के अंतिम संस्कार के बाद उसके अवशेष नदी में बहकर पानी में मिलते हैं।   

    लोहावती नदी से ही नगर के एक बड़े हिस्से में पानी की आपूर्ति भी की जाती है। नदी किनारे चौड़ी लिफ्ट पेयजल योजना बनाई गई है। जहां से लोहावती नदी, बलांई गधेेरे आदि स्थानों से पानी लिफ्ट कर पेयजल के रूप लोहाघाट नगर में सप्लाई होता है। पिछले कुछ वर्षों से नदी का जल स्तर भी लगातार घटने लगा है। जल संस्थान के अपर सहायक अभियंता पवन बिष्ट ने बताया कि लोहावती नदी के जल स्तर में कमी आती जा रही है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2011 में लोहावती नदी से करीब 285 एलपीएम पानी मिलता था जो अब घटकर 245 एलपीएम तक रह गया है।

    ईओ कमल कुमार का कहना है कि लोहाघाट नगर में सीवर के ट्रीटमेंट के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए जल निगम की ओर से कार्ययोजना तैयार की जा रही है। सीवर प्लांट लगने के बाद सीवरेज की समस्या दूर हो जाएगी।