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प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना : कुमाऊं में सत्तर हजार परिवारों को चूल्हे व धुएं से मिली मुक्ति

भोजन बनाने के लिए लकड़ी व कोयले से जलने वाले चूल्हे और कैरोसिन स्टोव पर निर्भर रहने वाले परिवारों के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना वरदान साबित हुई।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 09 Apr 2019 10:06 AM (IST)Updated: Tue, 09 Apr 2019 10:06 AM (IST)
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना : कुमाऊं में सत्तर हजार परिवारों को चूल्हे व धुएं से मिली मुक्ति
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना : कुमाऊं में सत्तर हजार परिवारों को चूल्हे व धुएं से मिली मुक्ति

हल्द्वानी, जेएनएन : भोजन बनाने के लिए लकड़ी व कोयले से जलने वाले चूल्हे और कैरोसिन स्टोव पर निर्भर रहने वाले परिवारों के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना वरदान साबित हुई। नैनीताल जिले में अब तक 13900 परिवारों को योजना के तहत एलपीजी कनेक्शन वितरित किए जा चुके हैं, जबकि ऊधमसिंह नगर में 15 हजार कनेक्शन और कुमाऊंभर में पिछले दो साल में तकरीबन 70 हजार से ज्यादा कनेक्शन वितरित किए जा चुके हैं। इससे उन परिवारों को राहत मिली जिन्हें पर्वतीय क्षेत्रों में चूल्हा जलाने के लिए जंगल से लकड़ी बीन कर लानी पड़ती थी। साथ ही मैदानी इलाकों में कोयला व लकड़ी खरीदनी पड़ती थी। धुएं और घुटन के बीच भोजन बनाने की मजबूरी महिलाओं और परिवार के अन्य लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल रही थी। उज्ज्वला ने धुएं से मुक्ति दिलाई और मानव श्रम भी बचाया। 

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प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में पहले बीपीएल परिवारों को शामिल किया गया, लेकिन बाद में योजना में बदलाव करते हुए इसका लाभ सभी वर्गों के आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को दिया गया। नैनीताल जिले का आधा हिस्सा पर्वतीय क्षेत्र में हो तो बाकी भाबरी व मैदानी क्षेत्र है। भौगोलिक स्थित के कारण मैदानी क्षेत्रों में घनी आबादी है, जबकि पर्वतीय क्षेत्रों में धारी, ओखलकांडा व रामगढ़ ब्लाक में सुदूर ऐसे इलाके हैं जहां परिवार की जरूरतें पूरी करने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता है। ऐसे में कृषि, पशुपालन से जुड़े ज्यादातर परिवारों को भोजन पकाने के लिए प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर रहना पड़ता था। जिनमें घरों में मिट्टी का चूल्हा बनाकर उसमें लकड़ी जलाकर भोजन पकाया जाता। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को उज्ज्वला योजना का लाभ देने के लिए बकायदा संबंधित क्षेत्र की गैस एजेंसियों ने कैंप लगाए। जिसमें जरूरत दस्तावेजों के आधार पर लोगों को योजना के अंतर्गत एलपीजी कनेक्शन दिया गया।

पांच किलो के सिलेंडर भी विकल्प

पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए उज्जवला योजना के अंतर्गत पांच किलो एलपीजी क्षमता वाले सिलेंडर भी दिए गए। आमतौर पर पहाड़ों में दूर-दराज के इलाकों में ढुलान की समस्या को देखते यह विकल्प लोगों के लिए काफी कारगर साबित हुए। सभी गैस एजेंसियों में पांच किलो के सिलेंडर उपलब्ध कराए गए।

दिक्कतें भी कम नहीं, समाधान से मिला रास्ता

उज्ज्वला योजना के तहत कनेक्शन लेने के बाद यह दिक्कतें भी सामने आई कि आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोग एक बार सिलेंडर खत्म होने के बाद दोबारा भरवाने में परेशानी महसूस करने लगे। इस समस्या को समझते हुए ऐसे उपभोक्ताओं को पांच किलो वाला एलपीजी सिलेंडर लेने का विकल्प दिया गया। जिसे कम कीमत में भरवाया जा सकता है। धीरे-धीरे जब जरूरत लोगों के जीवन का हिस्सा बनने लगी तो दोबारा सिलेंडर भरवाने की समस्या से भी निजात मिल गई।

जिलेवार उज्ज्वला योजना की स्थिति

नैनीताल                 13,900

अल्मोड़ा                  10,000

बागेश्वर                  11,000

पिथौरागढ़               12,000

चम्पावत                 9,000

ऊधमसिंह नगर        15,000

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