सेरीकांडा पेयजल योजना नहीं बुझा पा रही ग्रामीणों की प्यास, डीएम से लगाई समस्या समाधान की गुहार
पेयजल को लेकर परेशान ग्रामीण कई बार नई योजनाओं के निर्माण की गुहार लगा चुके हैं लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। ग्रामीणों को दो से तीन किमी पैदल चलकर पानी ढोना पड़ रहा है।
पिथौरागढ़, जागरण संवाददाता : पिथौरागढ़ जिले में वर्षों पहले बनी योजनाओं की क्षमता में आई गिरावट से कई बस्तियों में पेयजल का संकट खड़ा हो रहा है। पेयजल को लेकर परेशान ग्रामीण कई बार नई योजनाओं के निर्माण की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। ग्रामीणों को दो से तीन किमी पैदल चलकर पानी ढोना पड़ रहा है।
जिला मुख्यालय से 15 किमी. दूर अनुसूचित बस्ती सेरीकांडा के लिए 1972 मेें पेयजल योजना बनाई गई थी। दो दर्जन से अधिक परिवार को इसी योजना से पानी मिल रहा था, लेकिन पिछले एक वर्ष से योजना में पानी बहुत कम हो गया है। ग्रामीणों को सप्ताह में बमुश्किल दो दिन पानी मिल पा रहा है। पेयजल जुटाने के लिए ग्रामीणों को दो से तीन किमी. दूर प्राकृतिक जल स्रोतों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
पहाड़ पर पानी की समस्या बहुत गहरी है। भौगोलिक लिहाज से पहाड़ पर पानी ढोना बहुत ही मुश्किल काम है। पेयजल योजना के ठप हाेने से घर के लोगों को सारा काम छोड़कर दूर-दूर से पानी ढोना पड़ता है। कोविड काल में यह समस्या और भी गंभीर हो गई है। बाहर निकलने की पाबंदी के चलते पानी लेकर आने का काम मुश्किल हो गया है। बड़े सवेरे ही कई किमी पानी लेने निकलना पड़ता है।
समस्या से परेशान ग्रामीण बुधवार को मुख्यालय पहुंचे। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी के सामने अपनी समस्या रखते हुए कहा कि कोविड काल में ग्रामीण प्राकृतिक जल स्रोतों तक भी नहीं जा पा रहे हैं, जिससे उनकी समस्या और गंभीर हो गई है। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से गांव की पेयजल समस्या के समाधान को उचित कदम उठाए जाने की मांग की है। जिलाधिकारी से मिलने वालों में कृष्ण राम, चंद्र प्रसाद, दीपक कुमार, दिनेश राम, गोविंद राम, शंकर राम, हयात राम आदि शामिल थे। जिलाधिकारी ने ग्रामीणों को कार्रवाई का भरोसा दिलाया है।
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