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    Nainital : सूर्यास्त के बाद पृथ्वी के करीब आया शनि ग्रह, साल में एक बार होती है सैटर्न अपोजिशन की खगोलीय घटना

    रविवार की शाम सूर्य के अस्त होने के बाद शनि ग्रह पृथ्वी के करीब नजर आया। साल में एक बार होने वाली सैटर्न अपोजिशन की इस खगोलीय घटना में सूर्यास्त के साथ पूरब दिशा में उदय हुआ शनि ग्रह रात सुनहरे तारे की तरह टिमटिमाता नजर आया। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. शशिभूषण पांडेय ने बताया कि यह अपोजिसन की खगोलीय घटना थी।

    By Jagran NewsEdited By: Siddharth ChaurasiyaUpdated: Sun, 27 Aug 2023 07:20 PM (IST)
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    रविवार की शाम सूर्य के अस्त होने के बाद शनि ग्रह पृथ्वी के करीब नजर आया।

    जागरण संवाददाता, नैनीताल। रविवार की शाम सूर्य के अस्त होने के बाद शनि ग्रह पृथ्वी के करीब नजर आया। साल में एक बार होने वाली सैटर्न अपोजिशन की इस खगोलीय घटना में सूर्यास्त के साथ पूरब दिशा में उदय हुआ शनि ग्रह रात सुनहरे तारे की तरह टिमटिमाता नजर आया।

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    आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डॉ. शशिभूषण पांडेय ने बताया कि यह इस वर्ष हुई यह अपोजिसन की खगोलीय घटना थी। इस स्थिति में सूर्य, पृथ्वी व शनि ग्रह एक सीध में आ जाते हैं। रविवार को शनि ग्रह पृथ्वी से अपनी अधिकतम दूरी से लगभग 33 करोड़ किमी नजदीक आ पहुंचा था।

    सौर मंडल में छठे स्थान वाले इस ग्रह की पृथ्वी से अधिकतम दूरी लगभग 1.64 अरब किमी रहती है और करीब आने पर यह 1.31 अरब किमी रह जाती है। शनि ग्रह पर शोध कर रहे विज्ञानियों के लिए यह समय महत्वपूर्ण होता है। अब अगले करीब एक माह तक शनि हमारे करीब बना रहेगा लेकिन रोजाना दूरी बढ़ती चली जाएगी।

    रविवार को जिन स्थानों में आसमान बादलों से मुक्त रहा वहां शनि को निहारा जा सका। पृथ्वी से नजदीक होने के कारण ही यह अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक चमकदार व बड़ा भी दिखाई दे रहा था।

    31 अगस्त को नजर आएगा ब्लू मून

    खगोलीय घटनाओं के लिहाज 31 अगस्त की रात ब्लू मून वाली रहेगी। खगोल विज्ञान में ब्लू मून का अर्थ नीले रंग से नहीं है बल्कि जिस माह दो फुल मून होते हैं तो उसमें दूसरे फुल मून को ब्लू मून कहा जाता है। पहला फुल मून एक अगस्त को था।

    30 अगस्त के दिन चांद पृथ्वी से और नजदीक आ जाएगा और बीच का फासला सिर्फ 357,344 किमी का रह जाएगा। क्योंकि यह एक ही महीने में दूसरा फुल मून होगा, इसलिए इसे ब्लू मून का नाम दिया जा रहा है।

    क्या है सुपर मून?

    चांद से जुड़ी एक बेहद दुर्लभ घटना में से एक सुपर मून भी है। जिसे आप साल में सिर्फ दो से तीन बार ही देख सकते हैं। सुपर मून जिस दिन होता है, उस दिन चांद का आकार आम दिनों से कहीं ज्यादा बड़ा दिखाई देता है।

    सुपर मून दो अलग-अलग खगोलीय प्रभावों का संयोजन है। जब सूरज की पूरी रोशनी के साथ चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक से गुजरता है, तो वह हमें विशाल और भव्य रूप में दिखाई देता है। इसी घटना को हम पूर्ण चंद्रमा यानी सुपरमून कहते हैं। यह स्थिति तब आती है, जब रोशनी से चमकता हुआ फुल मून पृथ्वी के करीब आ जाता है।