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    नवनिर्वाचित सीएम और प्रदेश अध्‍यक्ष के लिए लिटमस टेस्‍ट होगा सल्‍ट उपचुनाव

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Sat, 20 Mar 2021 05:28 PM (IST)

    सल्‍ट विधानसभा उपचुनाव सीएम तीरथ सिंह रावत के सामने परीक्षा की पहली घड़ी है। यह सीट नवनिर्वाचित मुख्‍यमंत्री और प्रदेश अध्‍यक्ष दोनों के लिए प्रतिष्‍ठा का सवाल होगी। सल्ट विधानसभा सीट पर 17 अप्रैल को उपचुनाव होंगे और दो मई को नतीजे आएंगे।

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    नवनिर्वाचित सीएम और प्रदेश अध्‍यक्ष के लिए लिटमस टेस्‍ट होगा सल्‍ट उपचुनाव

    अल्‍मोड़ा, जागरण संवाददाता : उत्‍तराखंड इन दिनों देशभर में सुर्खियों में है। पहले हाईकमान ने त्रिवेन्‍द्र सिंह रावत को अचानक से हटाकर कुर्सी तीरथ सिंह रावत को सौंप दी, वहीं कुर्सी संभालते ही तीरथ की सक्रियता ने लोगों के बीच हलचल पैदा की। तमाम मसलों पर पूर्व और नए सीएम के विरोधाभाषी बयान लोगों में चर्चा का विषय बने। इसी बीच फटी जींस को लेकर मुख्‍यमंत्री का एक और बयान फिर विवादों में आ गया। जिस कारण सोशल मीडिया पर वह दो दिनों से जमकर ट्रोल हो रहे हैं। इन सब के बीच सल्‍ट विधानसभा उपचुनाव के रूप में उनके सामने परीक्षा की पहली घड़ी भी आ गई है। यह सीट नवनिर्वाचित मुख्‍यमंत्री और प्रदेश अध्‍यक्ष दोनों के लिए प्रतिष्‍ठा का सवाल होगी। सल्ट विधानसभा सीट पर 17 अप्रैल को उपचुनाव होंगे और दो मई को नतीजे आएंगे।  

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    तीरथ का लिटमस टेस्‍ट होगा विधानसभा चुनाव 

    भाजपा के तेजतर्रार विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के निधन से खाली हुई सल्‍ट विधान सभा की सीट को निकालना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। उपचुनाव का परिणाम यह भी बताएगा कि भाजपा की सरकार के पिछले चार साल के कार्यकाल के दौरान लोगों की कितनी नाराजगी रही है। नेतृत्व परिवर्तन के बाद लोगों के मूड में कितना बदलाव आया है। ऐसे में यह सीट नव निर्वाचित सीएम तीरथ सिंह रावत के लिए लिटमस टेस्‍ट जैसा भी होगा।  

    कांग्रेस भी लगाएगी पूरा जोर 

    अलगे साल विधायन सभाव चुनाव होने हैं। ऐसे में उपचुनाव और अहम हो जाते हैं। विधानसभा चुनाव में बढ़त बनाने के लिए कांग्रेस भी इस सीट पर पूरा जोर लगाने की कोशिश में है। सल्ट विधानसभा में दो बार कांग्रेस और दो बार भाजपा का परचम लहराया है। इस विधानसभा में भाजपा के पास यह सीट थी और उसके तेजतर्रार विधायक सुरेंद्र सिंह जीना की यहां बेहद मजबूत पकड़ भी मानी जाती थी। भाजपा को अभी यह तय करना है कि उपचुनाव में भाजपा की तरफ से उम्मीदवारी किसकी होगी। कांग्रेस की ओर से अभी तक दो दावेदारी सामने आई हैं। पहली दावेदारी इसी क्षेत्र के पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत के बेटे विक्रम रावत की है। वहीं, पिछले चुनाव में कम मार्जिन से हारीं कांग्रेस कि रनर अप प्रत्याशी भी दावा कर रहीं हैं।  

    कमेटी उपचुनाव के लिए नामों का पैनल बनाएगी

    गुरुवार को को प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की मौजूदगी में बैठक की। बैठक में सल्ट उपचुनाव को लेकर तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य की अध्यक्षता में डॉ धन सिंह रावत और प्रदेश महामंत्री सुरेश भट्ट को कमेटी में शामिल किया गया है। ये कमेटी उपचुनाव के लिए नामों का पैनल बनाएगी। साथ ही शुक्रवार तक अपनी रिपोर्ट देगी। 20 मार्च को प्रदेश चुनाव संचालन समिति की बैठक में पैनल पर चर्चा होगी। फाइनल पैनल बनाकर केंद्रीय नेतृत्व को भेज जाएगा। सल्ट उपचुनाव के लिए अलग से चुनाव अभियान समिति बनाई जाएगी। 

    मुख्यमंत्री के नाम की भी सुगबुगाहट 

    सल्ट उपचुनाव में क्या मुख्यमंत्री को उम्मीदवार बनाया जा सकता है... इसको लेकर गुरुवार को पत्रकारों ने जब प्रदेश अध्‍यक्ष मदन कौशिक से पूछा तो उन्‍होंने कहा कि मुख्यमंत्री के लिए दूसरे विकल्प भी हैं। बदरीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट ने भी बयान दिया है। मैं उनसे बात करूंगा। कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत भी लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। वह कोटद्वार सीट खाली करना चाहते हैं। कई विकल्प हैं। ये कोई व्यक्ति तय नहीं करता है। भाजपा में ये निर्णय केंद्रीय संसदीय बोर्ड में होते हैं। 

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