सहयोग से समाधान : मेहनत व ईमानदारी की बुनियाद की बदौलत ग्लो कर गया कास्मेटिक कारोबार
सचदेवा स्टोर के निदेशक आकर्ष सचदेव ने कोरोना काल की विपरीत स्थितियों को भी अपने पक्ष में कर लिया। इस कठिन वक्त में हल्द्वानी के आकर्ष सचदेवा ने रिटेलर व ग्राहकों से 26 साल पुराने रिश्तों और विश्वास को मजबूत किया वहीं ग्राहकों ने उनके नए प्रयासों को हाथोंहाथ लिया।
हल्द्वानी, जेएनएन : चुनौतियां हर किसी की जिंदगी में आती हैं। चुनौती जहां जीवन के मायने समझाती है वहीं आगे बढऩे के लिए ढेर सारे अवसर लेकर आती है। चुनौतियों के बीच अगर बदलावों को लागू करने का जज्बा हो तो मुश्किल हालात भी आसान बन जाते हैं। इसी मूलमंत्र को अपनाकर और ग्राहकों के भरोसे-सुझाव की मदद से सचदेवा स्टोर के निदेशक आकर्ष सचदेव ने कोरोना काल की विपरीत स्थितियों को भी अपने पक्ष में कर लिया। इस कठिन वक्त में हल्द्वानी के आकर्ष सचदेवा ने रिटेलर व ग्राहकों से 26 साल पुराने रिश्तों और विश्वास को मजबूत किया, वहीं ग्राहकों ने उनके नए प्रयासों को हाथोंहाथ लिया। सचदेवा कहते हैं कि मेहनत, ईमानदारी और लगन के बल पर किसी भी काम की शुरुआत की जाए तो कामयाबी मिलना निश्चित है। कोरोना काल के मुश्किल दौर भी बेहतर रणनीति, विश्वास की बदौलत आसान बना लिया। बिजनेस और कोरोना काल के अनुभव बता रहे हैं आकर्ष सचदेवा।

छोटी दुकान से शोरूम तक का सफर
आकर्ष सचदेवा बताते हैं कि उनके पिता विकास सचदेवा ने 1994 में महज दस हजार रुपये से कास्मेटिक का काम शुरू किया। मुखानी में छोटी दुकान हुआ करती थी। तब उसका 500 रुपये प्रति माह किराया था। पिताजी साइकिल से घूमकर रिटेलरों को सामान देने जाते। यह प्रक्रिया कई सालों तक चली। ईमानदारी और पूरी निष्ठा से काम पर जुटे रहे। 2018 में नैनीताल रोड पर एमबीपीजी कालेज के नजदीक सचदेवा स्टोर की शुरुआत की। आकर्ष बताते हैं कि स्टोर पर 250 से अधिक कंपनियों के सैकड़ों प्रोडक्ट उपलब्ध हैं। कुछ समय पहले आर्टिफिशियल ज्वेलरी का काम भी शुरू किया। शहर में धारणा यह बन गई हैं कि जब किसी दुकान पर कास्मेटिक का कोई सामान नहीं मिलता तो दुकानदार उसे सचदेवा स्टोर पर भेजते हैं। आकर्ष कहते हैं उनकी कोशिश रहती है कि ग्राहक को एक जगह पर सभी तरह के प्रोडक्ट मिल जाएं। आकर्ष ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी देहरादून से बीटेक किए हैं। बाद में एक नामी कंपनी में सेल्स एंड मार्केटिंग हेड रहे। अपने कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए नौकरी छोड़ दी।
समाधान 1: ग्राहकों का भरोसा सबसे बड़ा आधार
आकर्ष बताते हैं कि कोरोना काल ग्राहकों का भरोसा चुनौतियों से लडऩे का पहला हथियार और समाधान थ। ग्राहक वाट्सएप और मोबाइल पर संपर्क कर स्टोर और प्रोडक्ट के बारे में जानकारी ले रहे थे। लाकडाउन की शुरुआत में जब दुकानें, स्टोर दोपहर 12 बजे तक खुल रही थी। ऐसे में काफी ग्राहक स्टोर पर उमड़ रहे थे। हमने ग्राहकों का भरोसा बनाया रखा। शारीरिक दूरी का पालन करते हुए लोगों को जरूरी उत्पाद उपलब्ध कराए।

समाधान 2: प्री मैकेनिज्म आया काम
हमारा सामान दिल्ली, मुंबई, आगरा, हरियाणा समेत देश के विभिन्न शहरों से आता है। कोरोना काल में हमारे लिए दोहरी चुनौती थी। एक तो ग्राहकों को उनकी जरूरत का सामान उपलब्ध कराना था दूसरा उसकी उपलब्धता बनाए रखना। कोरोना काल में आवागमन के लिए ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था सुचारू तौर पर नहीं थी। अपनी गाड़ी से दूसरे शहरों में जाना मुश्किल था। ऐसे में सामान की उपलब्धता बनी रहे इसके लिए प्री मैकेनिज्म बनाया गया। इससे व्यवसाय को सुचारू चलाने में काफी मदद मिली।
समाधान 3 : ग्राहकों को दी होम डिलीवरी
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए हम शोरूम के अंदर-बाहर सैनिटाइज कर रहे हैं। कर्मचारियों और ग्राहक के लिए मास्क अनिवार्य किया गया। तापमान जांचने वाली मशीन का प्रयोग कर रहे थे। इसके बाद भी शुरुआत में कई ग्राहक दुकान पर आने से झिझक रहे थे। हर कोई कोरोना संक्रमण से डरा हुआ था। ऐसे में हमने ग्राहकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए होम डिलीवरी शुरू की। इससे एक तरफ जहां हमारा ग्राहक से जुड़ाव बरकरार रहा तो दूसरी तरफ हमारी डिमांड में भी इजाफा हुआ। इसकी वजह से डिजिटल पेमेंट में भी बढ़ोत्तरी हुई।

समाधान 4 : सोशल मीडिया का उपयोग
आकर्ष सचदेवा बताते हैं कि हमने लोगों तक अपनी पहुंच बढ़ाने और ग्राहकों को सहूलियत देने के लिए सोशल मीडिया और आनलाइन माध्यम का इस्तेमाल किया। फेस्टिवल, आयोजनों, डिस्काउंट आदि के बारे में लगातार अपडेट देते रहे, जिसका हमें फायदा मिला। आज कस्टमर सहूलियत चाहता है। ग्राहक और व्यवसायी के बीच परिवार को रिश्ता होता है। हम आज भी इसी परंपरा से आगे बढ़ा रहे हैं। आकर्ष कहते हैं कि हम किसी भी कीमत पर ग्राहक का विश्वास बनाए रखना चाहते हैं।

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