तीन राज्यों के चक्कर काट रहे रोडवेज के अफसर, जानिए क्या है पूरा मामला
रोडवेज बसों से हुए एक्सीडेंट व मौतों की वजह से दर्ज मुकदमों की वजह से आरोपित चालक के साथ परिवहन निगम के अफसर भी तीन राज्यों के चक्कर काट रहे हैं। कोर्ट में दर्ज मुकदमों की पैरवी के लिए जाना पड़ता है।

हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : रोडवेज बसों से हुए एक्सीडेंट व मौतों की वजह से दर्ज मुकदमों की वजह से आरोपित चालक के साथ परिवहन निगम के अफसर भी तीन राज्यों के चक्कर काट रहे हैं। कोर्ट में दर्ज मुकदमों की पैरवी के लिए जाना पड़ता है। उत्तर प्रदेश, दिल्ली व हरियाणा में कुल 60 केस सालों से चल रहे हैं। वहीं, उत्तराखंड में बस हादसों से जुड़े 29 मामले न्यायालयों में विचाराधीन है।
उत्तराखंड रोडवेज की बसें दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल आदि रूटों पर चलती है। निगम खुद के अलावा अनुबंधित बसों को भी मार्गों पर भेजता है। अनुबंधित बसों द्वारा रास्ते में एक्सीडेंट होने पर मामला मालिक द्वारा निपटाया जाता है। लेकिन रोडवेज बसों की जिम्मेदारी परिवहन निगम की होती है। खास बात यह है कि परिवहन निगम की गाडिय़ों का बीमा नहीं होता। कुछ साल पहले रोडवेज ने बसों का बीमा करवाया था।
मगर बाद में कंपनी ने मना कर दिया। वहीं, अफसरों के मुताबिक रोडवेज बसों द्वारा किसी वाहन में टक्कर मारने पर अगर किसी की व्यक्ति की मौत होती है तो मुकदमे की पूरी जिम्मेदारी रोडवेज की होती है। कोर्ट में मुकदमा चलने के बाद जो भी क्लेम का आदेश होता है वह रोडवेज के बजट से जाता है। इसलिए रोडवेज के चालक व अफसर तीन राज्यों की अलग-अलग कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं।
89 लाख पहुंच गई राशि : परिवहन निगम के अफसरों के मुताबिक गरमपानी के पास हुए हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। जिसके बाद मामला न्यायालय में पहुंचा। बताया जा रहा है कि डेथ क्लेम राशि 89 लाख तक पहुंच चुकी है।
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