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    कड़ाके की ठंड में रोडवेज कर रहा यात्रियों के जीवन से खिलवाड़, जानि‍ए कैसे

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Wed, 26 Dec 2018 08:19 PM (IST)

    सर्द मौसम में हाड़ कंपाने वाली ठंड के बावजूद परिवहन निगम के अधिकारी यात्रियों की सुरक्षा व सुविधा के प्रति बेपरवाह बने हैं।

    कड़ाके की ठंड में रोडवेज कर रहा यात्रियों के जीवन से खिलवाड़, जानि‍ए कैसे

    हल्द्वानी, जेएनएन : सर्द मौसम में हाड़ कंपाने वाली ठंड के बावजूद परिवहन निगम के अधिकारी यात्रियों की सुरक्षा व सुविधा के प्रति बेपरवाह बने हैं। यही नहीं, परिवहन विभाग व पुलिस के स्तर से भी यातायात नियमों को ताक पर रखकर दौड़ाई जा रही रोडवेज बसों पर कार्रवाई नहीं की जाती। ऐसे में सफर के दौरान यात्रियों की जान हर समय सांसत में रहती है। रात में सफर करने वाले यात्रियों को सबसे अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

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    परिवहन निगम के बेड़े में नई बसों का टोटा है। खटारा बसों को सड़कों पर दौड़ाकर यात्रियों को ढोया जा रहा है। बसों की हालत इतनी खराब है कि यात्रियों को इनमें परेशानी का सामना करना पड़ता है। मैदानी रूटों पर बिना फॉग लाइट के बसें दौड़ाई जा रही है। जबकि इस समय कोहरा अधिक रहता है। कई बसों में इंडीकेटर व बैक लाइटें तक टूटी हैं। इससे हर समय हादसों का खतरा रहता है।

    खिड़कियों के शीशे बंद करने के लिए लॉक तक नहीं हैं। सफर के दौरान खुली खिड़कियों से ठंडी हवा अंदर आती है, जो पूरी यात्रा में लोगों को परेशान कर रही है। कुछ बसों में धागे लगाकर शीशे रोकने का जुगाड़ चालक-परिचालकों ने किया है। मैदानी रूट पर प्रतिबंध होने के बावजूद अगले टायरों पर रबर चढ़ाकर बसों को दौड़ाया जा रहा है। बसों के भीतर वायङ्क्षरग बॉक्स खुले रखे गए हैं। वहीं, कई बसों में प्रेशर हॉर्न लगे हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद प्रेशर हार्न नहीं हटाए गए हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक बस के चालक-परिचालक ने बताया कि वह दिल्ली रूट पर चलते हैं। जैसे-जैसे रास्ते में कोहरा बढ़ रहा है, सफर अधिक खतरनाक होता जा रहा है। कोहरे में फॉग लाइटें नहीं होने से चंद कदम दूर ही वाहन या व्यक्ति दिखता है। ऐसे में दूसरे व खुद के वाहन को बचाते समय धड़कन तेज हो जाती है।

    बसों में नहीं है मेडिकल किट

    सफर के दौरान यदि कोई छोटा हादसा भी हो जाए तो यात्रियों या चालक-परिचालक के प्राथमिक उपचार तक की व्यवस्था बसों में नहीं हैं। अधिकांश बसों में मेडिकल किट के बॉक्स खाली पड़े हैं। ये हाल तब है जबकि यातायात नियमों में छोटे से लेकर भारी वाहनों में सफर के दौरान मेडिकल किट रखना अनिवार्य है।

    समस्या हल करना दूर, फोन तक नहीं उठाते अफसर

    बसों में व्याप्त अनियमितताओं को दुरुस्त करना दूर अफसर फोन तक नहीं उठाते हैं। बसों के हाल को लेकर दैनिक जागरण ने आरएम तकनीकी अनूप रावत से इन दिक्कतों के दूर न होने के कारणों की जानकारी लेनी चाही। कई बार मिलाने पर भी उनका फोन रिसीव नहीं हुआ। वहीं, आरएम संचालन यशपाल सिंह का कहना है कि बुधवार को कार्यालय खुलने पर दिक्कतों के दूर न होने के पीछे के कारणों की जानकारी ली जाएगी।

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