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    पांवटा साहिब जाने वालों के लिए बड़ी खबर, उत्तराखंड के काशीपुर से शुरू हुई बस सेवा

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Sat, 26 Feb 2022 09:46 PM (IST)

    Kashipur to Paonta Sahib सिख समुदाय के पवित्र धर्म स्थल पांवटा साहिब जाने के लिए उत्तराखंड के काशीपुर से रोडवेज बस की सुविधा शुरू होने वाली है। शिवरा ...और पढ़ें

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    पांवटा साहिब जाने के लिए उत्तराखंड के काशीपुर से रोडवेज बस की सुविधा शुरू होने वाली है।

    जागरण संवाददाता, काशीपुर : परिवहन निगम ने काशीपुर से पांवटा साहिब हिमाचल प्रदेश के लिए रोडवेज बस सेवा शुरू कर दी है, शिवरात्रि के बाद इस रूट पर निर्धारित समय से बसों का संचालन किया जाएगा। रोडवेज डिपो से हरिद्वार, देहरादून, हल्द्वानी, रुद्रपुर, बरेली, लखनऊ, मुज्जफरनगर, मेरठ, जयपुर, दिल्ली आदि स्थानों के लिए बड़ी संख्या में यात्री सफर करते हैं। निगम ने 17 फरवरी से काशीपुर-पांवटासाहिब हिमाचल प्रदेश के लिए बस सेवा शुरू की है। जिसके बाद बस डिपो से प्रतिदिन सुबह करीब साढ़े सात बजे रवाना होती है।

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    वापसी में शाम को करीब सवा छह बजे पांवटा साहिब से चलती है। रात करीब साढ़े आठ बजे देहरादून से सवारी भरकर काशीपुर के लिए रवाना होती है। वरिष्ठ केंद्र प्रभारी हरेंद्र ङ्क्षसह नितवाल ने बताया कि पांवटा साहिब के लिए बस संचालित करने को लखनऊ से परमिट लाया गया। इसके बाद हिमाचल प्रदेश से परमिट मिलने के बाद बस सेवा शुरू की जा सकी है। एक फरवरी से बस चलनी थी, लेकिन चुनाव के कारण नहीं चलाई जा सकी। फिलहाल महाशिवरात्रि के चलते इस बस को यात्री कम मिलने से आय कम हो रही है।

    हिमाचल-उत्तराखंड की सीमा पर यमुना नदी के किनारे बसा जिला सिरमौर का पांवटा साहिब सिखों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। पांवटा साहिब को दसवें सिख गुरु गोबिंद सिंह द्वारा स्थापित किया गया था। इस जगह का नाम पहले पाओंटिका था। पौंटा शब्द का अर्थ है पैर, इस जगह का नाम इसके अर्थ के अनुसार सर्वश्रेष्ठ महत्व रखता है।

    ऐसा माना जाता है कि सिख गुरु गोबिंद सिंह अपने घोडे़ से जा रहे थे तथा इसी स्थान पर पहुंच कर उनके घोड़े अपने आप रूक गए थे, तो गुरु गोबिंद सिंह ने इसलिए पाओं और टीके को मिलाकर इसे पांवटा का नाम दिया। गुरु गोबिंद सिंह ने इसी स्थान पर गुरुद्वारा स्थापित किया था। साथ ही अपने जीवन के साढ़े 4 वर्ष यहीं गुजारे थे। गुरुद्वारा के अंदर श्रीतालाब स्थान, वह जगह है जहां से गुरु गोबिंद सिंह वेतन वितरित करते थे। इसके अलावा गुरुद्वारे में श्रीदस्तर स्थान मौजूद है।