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Road Safety: अपने पहुंचे न पहुंचे, हल्द्वानी के तरुण और उसके साथी हैं हर 'संकट के साथी', घायलों की करते मदद

Road Safety With Jagran कुसुमखेड़ा निवासी तरुण सक्सेना ने 2018 में रोटी बैंक शुरू किया था। शुरुआत में लक्ष्य था कि सड़क किनारे बेसहारा स्थिति में रहने वाले लोगों को भोजन बांटा जाएगा। लेकिन लोगों की पीड़ा देख लक्ष्य बढ़ता चला गया। टीम में 30 से अधिक सक्रिय लोग हैं।

By Jagran NewsEdited By: Rajesh VermaPublished: Wed, 23 Nov 2022 09:04 PM (IST)Updated: Wed, 23 Nov 2022 09:04 PM (IST)
हादसे में घायल युवक के पिता को आर्थिक सहायता का चेक देते तरुण।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : Road Safety With Jagran: भईया.....हम पहाड़ से इलाज के लिए अस्पताल में आए हैं। दो यूनिट ब्लड की जरूरत है। लेकिन यहां कोई परिचित नहीं है। आप हमारी मदद करिये। हल्द्वानी के युवा तरुण सक्सेना और उनके साथियों के पास पिछले पांच साल से अजनबियों की मदद से जुड़े ऐसे कई फोनकॉल आते हैं। रोजाना आठ से नौ कॉल आनी आम बात हो चुकी है।

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निजी जीवन की तमाम व्यस्ताओं के बीच तरुण और उनके दोस्तों के मन में मदद का जज्बा कभी कम नहीं हुआ। अपनों के पहुंचने में भले देरी हो जाए लेकिन युवाओं की यह टोली किसी भी गैर के संकट के दौर में 'सारथीÓ की भूमिका निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ते।

2018 में हुई थी संस्था की शुरुआत

कुसुमखेड़ा निवासी तरुण सक्सेना ने 2018 में रोटी बैंक शुरू किया था। शुरुआत में लक्ष्य था कि सड़क किनारे बेसहारा स्थिति में रहने वाले लोगों को भोजन बांटा जाएगा। लेकिन लोगों की पीड़ा देख लक्ष्य बढ़ता चला गया। टीम में 30 से अधिक सक्रिय लोग हैं। हादसे में घायल या गंभीर बीमार व्यक्ति को खून उपलब्ध कराना, इनका रोज का काम है।

पैसों का भी करते इंतजाम

अगर कोई मरीज आर्थिक तौर पर कमजोर है तो उसके लिए पैसों का इंतजाम भी करते हैं। हादसे में गंभीर घायल हुई जागृति और सागर की जिदंगी बचाने के लिए हल्द्वानी के निजी अस्पताल में पूरी टीम परिवार की तरह डटी रही। इनके लिए पैसों का इंतजाम भी किया। तरुण ने बताया कि खुद और समाज से मदद लेकर जरूरतमंद तक पहुंचाने में मिलने वाला सुकून ही हमारे लिए प्रोत्साहन है।

केस 1 : काठगोदाम में एक्सीडेंट, रात डेढ़ बजे खून देने पहुंचे

रामपुर रोड निवासी एक युवक का 25 मई को गौलापार बाइपास पर एक्सीडेंट हुआ था, जिसके बाद पुलिस उसे नैनीताल रोड के एक निजी अस्पताल में पहुंचाने चली गई। रात एक बजे चिकित्सकों ने कहा कि तुरंत तीन यूनिट ब्लड चाहिए। आधी रात को डोनर की समस्या हो गई, जिसके बाद रवि रोटी बैंक ने खून उपलब्ध करवाया।

केस 2 : घायल को अस्पताल पहुंचाया, स्वजन भी ढूंढे

छह नवंबर को रामपुर रोड पर मेडिकल कालेज गेट के आगे एक अज्ञात व्यक्ति गंभीर हालत में पड़ा हुआ था। सिर पर ज्यादा चोट होने से बेहोश था, जिसके बाद तरुण उसे लेकर निजी अस्पताल पहुंचा। स्वजनों का पता लगाने का बीड़ा भी खुद उठाया। रात दो बजे राजपुरा पहुंच उसके घरवालों को जानकारी दी।

केस 3 : जीते जी सेवा की, मरने पर परिवार भी बने

बस स्टेशन में गरीबों को खाना बांटने के दौरान 2019 में टीम को एक घायल अधेड़ मिला। पांव में गहरे जख्म थे। जिदंगी के इस हाल में पहुंचने पर अपनों ने भी साथ छोड़ दिया। इस बेनाम का इलाज कराने के साथ-साथ दो साल तक खाना का इंतजाम भी टीम ने ही किया। चार जून को अधेड़ की मौत हो गई। पुलिस नियम की वजह से 72 घंटे तक मोर्चरी में शव रख स्वजनों को खोजा गया। मगर कुछ पता नहीं चला। जिसके बाद हिंदू मान्यता के हिसाब से मृतक का अंतिम संस्कार भी किया।

दोस्त दुनिया में नहीं, लेकिन उसका नाम जिंदा रहेगा

रवि रोटी बैंक का नाम पहले रोटी बैंक था। हल्द्वानी स्थित एमबीपीजी कालेज का पूर्व छात्रसंघ उपसचिव रवि यादव टीम का सक्रिय सदस्य था। 26 अगस्त 2020 को एक सड़क हादसे में रवि की मौत हो गई। दुर्घटना से कुछ देर पहले वह साथियों संग गरीबों को खाना बांटकर आ रहा था। तब रवि के 12 साल पुराने दोस्त तरुण ने फैसला लिया कि अब रवि की याद में गरीबों की मदद की जाएगी। इसलिए रोटी बैंक का नाम रवि रोटी बैंक कर दिया।


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