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हिमालयी बुग्यालों में बढ़ा इंसानी दखल, अब रिसर्च में खुलेगा इसका असर nainital news

बदलावों को लेकर वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी अब बुग्यालों पर शोध करने जा रहा है। रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित चोपता बुग्याल को रिसर्च प्लान में शामिल किया गया।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 05 Jan 2020 06:06 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jan 2020 08:42 PM (IST)
हिमालयी बुग्यालों में बढ़ा इंसानी दखल, अब रिसर्च में खुलेगा इसका असर nainital news
हिमालयी बुग्यालों में बढ़ा इंसानी दखल, अब रिसर्च में खुलेगा इसका असर nainital news

हल्द्वानी, गोविंद बिष्ट : देश-दुनिया के पर्यटकों को अपनी और खींचने वाले हिमालयी बुग्यालों में इंसानी दखल लगातार बढ़ रहा है। इस भीड़ की वजह से बुग्याल के पारिस्थितिक तंत्र, पर्यावरण व मौसम में भी बदलाव दिख रहा है। इन्हीं तमाम बदलावों को लेकर वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी अब बुग्यालों पर शोध करने जा रहा है। रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित चोपता बुग्याल को रिसर्च प्लान में शामिल किया गया। चोपता में शोध पूरा होने पर पता चलेगा कि बुग्यालों की वर्तमान स्थिति क्या है। रिपोर्ट के  आधार पर और बेहतर संरक्षण को लेकर प्लानिंग तैयार की जाएगी।

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पहाडिय़ों में घास के मैदान को कहते हैं बुग्‍याल

बुग्याल यानी हिमालयी क्षेत्र की पहाडिय़ों में मौजूद बड़े-बड़े घास के मैदान। सैलानियों, पर्यावरणप्रेमी और शोधार्थियों के लिए यह हमेशा से दिलचस्प रहे हैं। हर साल हजारों सैलानी बुग्यालों का दीदार करने के लिए उत्तराखंड पहुंचते हैं। वन अनुसंधान केंद्र के अधिकारियों के मुताबिक गर्मियों के साथ-साथ जाड़ों में भी इन पहाड़ी ग्रासलैंड पर लोगों का दखल बढ़ता है। तब भारी बर्फ जमा होने के कारण लोग यहां ट्रैकिंग शुरू करने लगते हैं। जिस वजह से अनुसंधान केंद्र ने इस साल के रिसर्च प्लान में बुग्याल को भी शामिल किया। ताकि मानवीय गतिविधियों का तथ्यात्मक असर सामने आ सके।

3500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चोपता बुग्याल

रुद्रप्रयाग जनपद का चोपता बुग्याल 3500 मीटर की ऊंचाई पर है। इससे थोड़ा आगे दुनिया में सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित भगवान शिव का तुंगनाथ मंदिर है। मंदिर से डेढ़ किमी और उपर चित्रशिला की चोटी है। जहां से प्रकृति का अद्भुत नजारा दिखता है। इस वजह से भी चोपता को काफी पसंदीदा माना जाता है। वहीं, सड़क से मात्र तीन-चार किमी चढ़ाई होने की वजह से पर्यटक सुबह जाकर शाम तक आराम से लौट जाते हैं।

पेड़ नहीं सिर्फ हरे मैदान

हिमालयी बुग्याल 3300 से करीब चार हजार की ऊंचाई पर मिलते हैं। आमतौर पर बुग्याल उस इलाके को कहते हैं जहां पेड़ की बजाय चारों तरफ घास के बड़े-बड़े मैदान हों। गढ़वाल के चमोली, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग के अलावा कुमाऊं के पिथौरागढ़ व बागेश्वर में बुग्याल मौजूद है।

बुग्यालों में हर साल लोगों की दस्तक बढ़ी

संजीव चतुर्वेदी, वन संरक्षक अनुसंधान ने बताया कि बुग्यालों में हर साल लोगों की दस्तक बढ़ रही है। जिस वजह से इसे रिसर्च में शामिल किया गया है। शुरूआत रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित चोपता बुग्याल से होगी और समग्र अध्ययन के बाद रिपोर्ट तैयार होगी।

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