उत्तराखंड के जंगल व वनस्पतियों पर रिसर्च को वन विभाग से करना होगा साझा NANINITAL NEWS
उत्तराखंड के जंगल व वनस्पतियों पर रिसर्च करने बाद अब उसकी रिपोर्ट वन विभाग से भी हर हाल में साझा की जाएगी।
हल्द्वानी, जेएनएन : उत्तराखंड के जंगल व वनस्पतियों पर रिसर्च करने बाद अब उसकी रिपोर्ट वन विभाग से भी हर हाल में साझा की जाएगी। वरिष्ठ आइएफएस व वन संरक्षक अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी के प्रस्ताव पर प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने मुहर लगा दी है। इस बाबत आदेश जारी हो चुके हैं। शोध में क्या राज निकला है, इसकी कॉपी महकमे के पास जमा करनी होगी।
वनसंपदा व जैव विविधता को लेकर उत्तराखंड दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यहां की रिसर्च के आधार पर पर्यावरण संरक्षण को लेकर बड़ी योजनाएं तक बनाई जाती हैं। कई संस्थान व व्यक्तिगत तौर पर भी यहां के जंगलों पर लगातार शोध होते रहे हैं। वन्यजीव, वनसंपदा व वनस्पतियों पर शोध करने के बाद स्थानीय अफसरों से साझा किए गए शोध को पेटेंट करा लिया जाता है, जिसे देश भर में प्रकाशित किया जाता है। अभी तक कोई नियम नहीं होने के कारण विभाग को खुद इन पत्रिकाओं का अध्ययन करने के बाद ही जंगल की खूबी व कमी से रूबरू होने का मौका मिलता है। उसके बावजूद इस गंभीर मुद्दे पर किसी अफसर का ध्यान नहीं गया। हाल में वन संरक्षक अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी ने शोधपत्र विभाग को भी उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखा था। प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने अब आदेश जारी कर कहा है कि अब कोई भी संस्थान या शोधार्थी रिसर्च की अनुमति लेने से पहले वन विभाग से इसे साझा करने के बाबत शपथपत्र भी जमा कराएगा।
तीन स्तर पर देनी होगी रिपोर्ट
फॉरेस्ट रिसर्च ऑफ इंस्टीट्यूट, फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के अलावा निजी संस्थाएं अक्सर जंगल से जुड़े मामलों पर शोध करती हैं। आदेश में कहा गया है कि जिस वन प्रभाग से जुड़ा रिसर्च होगा, उसके डीएफओ, वन अनुसंधान वृत्त व वन विभाग मुख्यालय को रिसर्च पूरा होने पर उसकी रिपोर्ट देनी होगी।
मुख्यालय का फैसला राज्यहित में
संजीव चतुर्वेदी, वन संरक्षक अनुसंधान ने बताया कि मुख्यालय का फैसला राज्यहित में है। इससे जैव विविधिता प्रबंधन में सहयोग मिलेगा। जंगल की सुरक्षा व संरक्षण का जिम्मा वन विभाग का होता है, लिहाजा उसे पता होना चाहिए कि रिसर्च से क्या निकला है।