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    Surya Grahan 2020 : महज तीस सेकेंड तक दिखेगा ग्रहण, सालों बाद बन रहा दुर्लभ संयोग

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Wed, 10 Jun 2020 09:50 PM (IST)

    Surya Grahan 2020 21 जून को लगने वाला सूर्यग्रहण इस बार वलयाकार (एन्यूलर) नजर आएगा। यह अद्भुत संयोग सालों बाद बनने जा रहा है।

    Surya Grahan 2020 : महज तीस सेकेंड तक दिखेगा ग्रहण, सालों बाद बन रहा दुर्लभ संयोग

    जेएनएन, नैनीताल : Surya Grahan 2020 : 21 जून को लगने वाला सूर्यग्रहण इस बार कई मायनों में दुर्लभ होगा। इसकी वजह है सूर्य व चंद्रमा के बीच की दूरी। सालों बाद यह अद्भुत संयोग बनने जा रहा है जब 21 जून को लगने वाला सूर्यग्रहण इस बार वलयाकार (एन्यूलर)  नजर आएगा। महज तीस सेकेंड तक दिखने वाले इस ग्रहण काे वैज्ञानिक भी दुर्लभ संयोग मान रहे हैं। ग्रहण के दौरान सूर्य एक छल्ले की तरह नजर आएगा। नग्न आंखों से देखने पर आंखों की रोशनी तक जा सकती है। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ सौर वैज्ञानिक व पूर्व निदेशक डॉ. वहाबउद्दीन के अनुसार ग्रहण का बनना अपने आप में अद्भुत संयोग है।  

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    सूर्य को पूरा नहीं ढक सकेगा चांद

    इस बार के ग्रहण में सूर्य व चन्द्रमा के बीच के दूरी के खास मायने हैं। ग्रहण के दौरान सूर्य पृथ्वी से दूरस्थम स्थिति यानी 15,02,35,882 किमी दूर होगा। वहीं, चंद्रमा भी 3,91,482 किमी दूरी से अपने पथ से गुजर रहा होगा। यदि चंद्रमा पृथ्वी से और नजदीक होता तो यह पूर्ण सूर्यग्रहण बन जाता। वहीं, सूर्य यदि थोड़ा नजदीक होता तो ग्रहण का स्वरूप भी कुछ भिन्न होता। परंतु यह ग्रहण वलयाकार लगने जा रहा है। जिसमें चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को नहीं ढक पाएगा। चंद्रमा करीब तीस सेकेंड के लिए ही सूर्य के अधिकांश हिस्से को ढक पाएगा। इस दौरान सूर्य का आखिरी हिस्सा एक रिंग के समान नजर आएगा। तीस सेकेंड बाद ग्रहण छंटना शुरू हो जाएगा।

     

    बैलीज बीड्स देखने को मिलेगा ग्रहण के दौरान

    इस बार के ग्रहण के दौरान एक और घटना देखने के लिए मिलेगी। जिसमें चंद्रमा के गड्ढे से होकर गुजरती सूर्य की किरणों को देखा जा सकेगा। ग्रहण के दौरान यह घटना दो बार होती है। ग्रहण लगने के कुछ देर बाद ही इसे देख सकते हैं। इस नजारे को देखने के लिए सौर वैज्ञानिक समेत खगोल प्रेमी उत्सुक रहते हैं। सूर्य ग्रहण के दौरान दिखाई देने वाले चमकीले धब्बों के बीच से नजर आती चकीली तिरछी किरण को बैलीज बीड्स (बेली के मोती) कहते हैं। इसका नामकरण अंग्रेजी खगोल विज्ञानी फ्रांसिस बेली के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 15 मई, 1836 को एक ग्रहण के दौरान देखा था।

    आकार में सूर्य चन्द्रमा से कई गुणा बड़ा है। लेकिन इनका आभासीय आकार अंतरिक्ष में एक समान नजर आता है। इन दोनों का आभाषीय आकार आधा डिग्री का है, जबकि वास्तविकता यह है कि सूर्य चंद्रमा से चार सौ गुना बड़ा है। इसके बावजूद चंद्रमा सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य की रोशनी को धरती पर आने से रोक लेता है।

     

    आंखों की रोशनी भी जा सकती है

    एरीज के डॉ. वहाबउद्दीन ने बताया कि पूरे देश में दिखने जा रहे इस सूर्यग्रहण को नग्न आंखों से देखने की भूल कतई न करें। इससे आंखों के लिए खतरा उत्पन्न होता है। यहां तक कि आंखों की रोशनी भी जा सकती है। इसके लिए सोलर चश्मे व विशेषज्ञों की सलाह लेकर अन्य सुरक्षित उपकरणों का उपयोग करें।

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