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    जिस दुर्लभ धूमकेतु 3आइ पर लगी है दुनिया की नजर, आधीरात को एरीज के दूरबीन से कैमरे में हुआ कैद

    Updated: Sat, 06 Dec 2025 01:07 AM (IST)

    नैनीताल में एरीज की दूरबीन से एक दुर्लभ धूमकेतु 3आइ/एटलस को कैद किया गया। यह धूमकेतु किसी दूसरे सौर मंडल से आया है और वैज्ञानिकों के लिए अध्ययन का एक ...और पढ़ें

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    आधीरात को दुर्लभ धूमकेतु 3आइ एरीज के कैमरे में कैद हुआ।

    जागरण संवादाता, नैनीताल: दुनिया की नजर जिस धूमकेतु पर लगी हुई है, वह शुक्रवार आधी रात को आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) की 104 सेमी संपूर्णानंद दूरबीन से कैमरे में कैद हो गया। इस धूमकेतु के अध्ययन के लिए एरीज समेत विदेशी विज्ञानियों का दल एरीज में जुटा हुआ था।

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    यह हमारे सौर मंडल का नहीं बल्कि किसी दूसरे सौर मंडल से हमारे सौर परिवार में घुस आया धूमकेतु है। इसी वर्ष जुलाई में इसकी खोज हुई थी, तभी से दुनियाभर की तमाम स्पेस एजेंसियां इसकी खोज खबर में जुट गईं थीं।

    इसके दुर्लभ होने की एक वजह विचित्र व्यवहार था तो दूसरी महत्वपूर्ण वजह किसी दूसरे तारे के धूमकेतु का घर बैठे अध्ययन था। हम शायद ही कभी उस तक पहुंच सकते थे, लेकिन वह खुद ही हमारे करीब पहुंच गया था।

    जिस कारण धूमकेतुओं और किसी दूसरे सौर मंडल पिंडों का अध्ययन बेहद महत्वपूर्ण हो चला था। वर्तमान में दुनिया की तमाम दूरबीनों से इसका अध्ययन किया जा रहा है और शुक्रवार की रात यह धूमकेतु संपूर्णानंद आप्टिकल दूरबीन के घेरे में रहा।

    आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के खगोल विज्ञानी डा. वीरेंद्र यादव ने बताया कि यह अंतर्तारकीय (बाहरी) आगंतुक धूमकेतु 3आइ/एटलस इन दिनों हमारे सौर मंडल से गुजर रहा है। यह सूर्योदय से पहले कुछ समय के लिए पूर्व दिशा में दिखाई देता है।

    3आइ हमारे सौर मंडल में आया हुआ तीसरा ऐसा पिंड है जिसकी उत्पत्ति किसी दूसरे सौर मंडल में हुई है। जब यह धूमकेतु सूर्य के पास आता है तो उसमें मौजूद जमी हुई बर्फ गर्म होकर सीधे गैस अवस्था में बदलने लगती है।

    यह उर्ध्वपातन की प्रक्रिया है। यह साधारण धूमकेतु नहीं है और ना ही हमारे सौर मंडल का हिस्सा है। इसकी कक्षा से इसके बाहरी होने का पता चलता है। बाहर से आए अभी तक केवल तीन ही पिंड पाए गए हैं।

    3आइ धूमकेतु हमारे सौर मंडल से गुजरने के बाद हमेशा के लिए दूर अंतरिक्ष में चला जाएगा और फिर कभी वापस नहीं आएगा। फिलहाल अगले कुछ माह तक इसे देखा जा सकेगा और विज्ञानी इस मौके को कतई गंवाना नहीं चाहेंगे।

    अध्ययन करने वाले दल में एरीज से डा. संतोष जोशी, डार्टमुंड यूनिवर्सिटी, जर्मनी के प्रो क्रिश्चियन वोहलर व शैफाली गर्ग शामिल रहे।

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