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    Haldwani News : धार्मिक सर्किट के रूप में विकसित होगा रानीबाग क्षेत्र, सरकार ने जारी किया बजट

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Fri, 08 Apr 2022 11:18 AM (IST)

    Haldwani News / Ranibagh religious circuit ऋषि-मुनियों की तपस्थली रहा रानीबाग हल्द्वानी से सटा हुआ क्षेत्र है। उत्तराखंड सरकार इसे धार्मिक सर्किट के रूप में विकसित करने जा रही है। इसके लिए 98.88 लाख रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है।

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    रानीबाग को धार्मिक सर्किट के रूप में विकसित करने के लिए केएमवीएन को बनाया गया कार्यदायी संस्था

    जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी के आसपास का क्षेत्र धार्मिक पर्यटन सर्किट (religious tourism circuit) के रूप में विकसित होगा। इसके लिए राज्य सरकार ने 98.88 लाख रुपये स्वीकृत कर दिए हैं। इससे जहां रानीबाग (Ranibagh ) से लेकर आसपास क्षेत्र में आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध हो जाएंगी, वहीं दूरदराज से भी पर्यटन बढऩे से रोजगार की संभावनाएं खुलेंगी। संस्कृति व धर्मार्थ विभाग के उपसचिव हरीश सिंह बसेड़ा की ओर जारी आदेश में कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) को कार्यदायी संस्था बनाया गया है। शासन ने निर्देश दिए हैं कि पूरी परियोजना को तैयार करने के पहले संबंधित स्थल का भूगर्भवेत्ता व उच्चाधिकारियों से निरीक्षण करा लिया जाए। इसी आधार पर कार्य शुरू किया जाए।

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    यह है रानीबाग व आसपास क्षेत्र का महत्व

    कुमाऊं के प्रवेश द्वार का धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व पौराणिक महत्व है। जहां से गार्गी यानी गौला नदी प्रवाहित होती है। रानीबाग क्षेत्र जो ऋषि-मुनियों की तपस्थली रही है, मार्कंडेय पुराण में मार्कंडेय ऋषि (Markandeya Rishi) का उल्लेख मिलता है, जिन्होंने इस जगह पर तपस्या की थी। रानीबाग में प्राचीन समय से ही चित्रेश्वर महादेव मंदिर (Chitreswar Mahadev Temple) स्थापित है। इस जगह पर मकर संक्रांति से लेकर प्रत्येक पर्वों पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

    महारानी जियारानी से जुड़ता है क्षेत्र

    ऐतिहासिक दृष्टि से भी देखें तो रानीबाग का नाम कत्यूर वंश के समय महारानी जियारानी (Maharani Jiyarani)के संदर्भ में प्रयोग किया जाता है। रानीबाग में ही शीतला देवी (Sheetla Devi mandir Ranibagh) का प्राचीन मंदिर है। इसके अलावा शनि देव व कामाक्षा देवी मंदिर भी है। यहां से 20 किलोमीटर दूर विश्वप्रसिद्ध हैड़ाखान मंदिर है। 11 किलोमीटर दूर कालीचौड़ मंदिर (Kalichaur Mandir) और 20 किलोमीटर दूर छोटा कैलास भी स्थित है। इस पूरे क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित करने की योजना है।

    रानीबाग ऋषि-मुनियों की तपस्थली

    प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य, भाजपा सचिन साह ने बताया कि रानीबाग ऋषि-मुनियों की तपस्थली रही है। इसका उल्लेख धार्मिक साहित्य के अलावा पौराणिक साहित्य में भी है। इस जगह का सामाजिक, धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व है। इस स्थल को विकसित करने की लंबे समय से सरकार से मांग की जा रही है। रानीबाग के सुंदरीकरण के साथ ही धार्मिक सर्किट बनाने की दिशा में सरकार ने काम शुरू कर दिया है।

    जीएम ने कहा, जल्द होगा टेंडर

    केएमवीएन के महाप्रबंधक अब्ज प्रसाद बाजपेयी ने बताया कि संस्कृति व धर्मार्थ विभाग की ओर से बजट स्वीकृत हुआ है। इसके लिए प्रस्ताव पहले भेजा गया था। रानीबाग से लेकर कालीचौड़ मंदिर में धार्मिक पर्यटन को बढ़ाने देने के लिए आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके लिए जल्द ही टेंडर कराया जाएगा।