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    रामपुर तिराहा कांड: जिलाधिकारी से संबंधित केस की पत्रावली गायब, नैनीताल हाई कोर्ट का फैसला सुरक्षित

    Updated: Sun, 31 Aug 2025 06:11 PM (IST)

    नैनीताल हाई कोर्ट ने रामपुर तिराहा कांड से जुड़े मुकदमों पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था। मुजफ्फरनगर पुलिस ने बताया कि तत्कालीन जिलाधिकारी अनंत कुमार सिंह से संबंधित केस की पत्रावली नहीं मिली। मुकदमे दर्ज होने के बाद से कोई सुनवाई नहीं हुई है। दो अक्टूबर 1994 को रामपुर तिराहा में पुलिस ने आंदोलनकारियों पर गोली चलाई थी सात की मौत हुई थी।

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    हाई कोर्ट ने मामले में सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रखा। फाइल

    किशोर जोशी, नैनीताल। अलग उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान रामपुर तिराहा कांड में आंदोलनकारियों की मौत, महिला आंदोलनकारियों से दुष्कर्म तथा अत्याचार मामले में तत्कालीन जिलाधिकारी अनंत कुमार सिंह से संबंधित केस की पत्रावली तलाशने के बाद भी मुजफ्फरनगर पुलिस को नहीं मिली। मुजफ्फरनगर जिले के थाना छपार की ओर से हाई कोर्ट को भेजी गई रिपोर्ट में यह रहस्य उजागर हुआ है। हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रख लिया है।

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    दरअसल नैनीताल हाई कोर्ट ने अलग उत्तराखंड राज्य आंदोलन के चर्चित रामपुर तिराहा कांड के मामले दर्ज मुकदमों की जल्द सुनवाई को दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगते हुए पूछा था कि रामपुर तिराहा कांड से संबंधित आधा दर्जन मुकदमों की क्या स्थिति है। जिस पर याचिकाकर्ता अधिवक्ता रमन कुमार शाह की ओर से कोर्ट को बताया गया कि जब से मुकदमे दर्ज हुए, तब से कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

    तीन दशक बाद भी मुकदमों की स्थिति स्थिति का पता नहीं है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि आधा दर्जन मुकदमों को जिला जज देहरादून ने हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के एक पत्र के आधार पर मुजफ्फरनगर कोर्ट में सुनवाई को भेज दिया, इन मुकदमों की शीघ्र सुनवाई के लिए निर्देश दिए जाएं। कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रख लिया है।

    सात आंदोलनकारियों की हुई थी मौत

    दो अक्टूबर 1994 को जब अलग उत्तराखंड राज्य निर्माण के लिए गढ़वाल मंडल के आंदोलनकारी दिल्ली कूच के लिए मुजफ्फरनगर के रास्ते निकले थे तो रामपुर तिराहा में पुलिस ने उन्हें रोक दिया। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव सरकार के निर्देश पर आंदोलनकारियों पर गोली चलाई गई, जिसमें सात आंदोलनकारियों की मौत हुई।

    इस दौरान सात महिला आंदोलनकारियों के साथ दुष्कर्म जबकि 17 महिलाओं पर अत्याचार किया गया। इस मामले में मुख्य आरोपित मुजफ्फरनगर के तत्कालीन जिलाधिकारी अनंत कुमार सिंह तथा सात अन्य आरोपितों के मामले सीबीआई की ओर से मुजफ्फरनगर कोर्ट को स्थानांतरित कर दिए गए थे, लेकिन वहां सुनवाई अभी तक लंबित है। राज्य आंदोलनकारियों की सुप्रीम कोर्ट में अपील पर मामला नैनीताल हाई कोर्ट स्थानांतरित कर दिया गया था।

    यह है मुकदमों की स्थिति

    • रिपोर्ट के अनुसार थाना छपार, मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश से रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया है कि प्रकरण संख्या 42/1996 "सीबीआई बनाम अनंत कुमार सिंह से संबंधित मामले की पैरवी विशेष अपराध शाखा, नई दिल्ली द्वारा पैरवी की जा रही है।
    • प्रकरण संख्या 38/1996 "सीबीआई बनाम राजेंद्र सिंह मामले की भी विशेष अपराध शाखा, नई दिल्ली की ओर से पैरवी की जा रही है, इसलिए इस मामले के संबंध में कोई जानकारी देने में असमर्थ है,
    • प्रकरण संख्या 40/1996 "सीबीआई बनाम राजवीर सिंह एवं अन्य के संबंध में, जो वर्तमान में एक अभियुक्त राजवीर सिंह की मृत्यु के कारण विशेष न्यायाधीश, सीबीआई ने पांच जून 2023 को बंद कर दिया गया।
    • प्रकरण संख्या 43/1996 "सीबीआइ बनाम मोती सिंह व अन्य। यह मामला भी विशेष अपराध शाखा, नई दिल्ली के अधीन है। जांच में पता चला कि राजवीर की मृत्यु हो चुकी है।
    • केस संख्या 710/1995 "सीबीआई बनाम बृजकिशोर व अन्य मामला,
    • सीबीआई केस संख्या 712/1995 सीबीआई बनाम बृजकिशोर/एसपी. मिश्रा एवं अन्य केस एसीजेएम प्रथम, मुजफ्फरनगर के समक्ष लंबित है, दोनों में साक्ष्य पूर्ण हो चुके हैं।