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    भाईजी का सुझाव प्रशासन सीमित संसाधन व कलाकारों से कराए रामलीला मंचन

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Fri, 21 Aug 2020 05:18 PM (IST)

    अंतत चतुर्दशी के दिन श्रीरामलीला के ध्वज पूजन की परंपरा रही है। दस दिन का समय रह गया है लेकिन 130 साल पुरातन परंपरा के निर्वहन को लेकर अभी तक कोई रूपरेखा नहीं बनी है।

    भाईजी का सुझाव प्रशासन सीमित संसाधन व कलाकारों से कराए रामलीला मंचन

    हल्द्वानी, जेएनएन : अंतत चतुर्दशी के दिन श्रीरामलीला के ध्वज पूजन की परंपरा रही है। दस दिन का समय रह गया है, लेकिन 130 साल पुरातन परंपरा के निर्वहन को लेकर अभी तक कोई रूपरेखा नहीं बनी है। हरि शरणम जन प्रमुख स्वामी रामगोविंद दास भाईजी का कहना है कि प्रशासन को सीमित संसाधन और कलाकारों से रामलीला मंचन कराना चाहिए, जिससे परंपरा और प्रशासनिक गाइडलाइन दोनों का पालन हो सके।

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    शुक्रवार को भोलानाथ गार्डन स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से रूबरू होते हुए भाईजी ने कहा हल्द्वानी की रामलीला का सुनहरा अतीत रहा है। पूरे उत्तराखंड में रात्रि की रामलीला होती है, लेकिन हल्द्वानी की 130 साल से अधिक पुरानी दिन की रामलीला अपने आप में अद्भुत है। एक शताब्दी से लंबे अतीत वाली रामलीला को लेकर ऐसा कोई संदर्भ नहीं मिलता जिसमें रामलीला मंचन की परंपरा खंडित होने का जिक्र मिलता हो। जाहिर है लंबे इतिहास के बीच कई अच्छी-बुरी परिस्थितियां बनी होंगी।

     

    उन्होंने कहा कि भीषण संकट के बीच भी देवीधुरा में बग्वाल और जगन्नाथपुरी में रथ खींचने की परंपरा का निर्वहन किया गया। भाईजी ने कहा कि राम भक्तों की आस्था और परंपरा को ध्यान में रखते हुए श्री रामलीला कमेटी के रिसीवर सिटी मजिस्ट्रेट ने पिछले वर्ष की संचालन समिति को रामलीला मंचन की जिम्मेदारी देनी चाहिए। कोरोना को देखते हुए प्रशासन की ओर से तय गाइडलाइन के पालन के लिए भाईजी ने कुछ सुझाव भी रखे। उन्होंने इस मामले में सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्यूष सिंह को संस्था की ओर से पत्र भी भेजा है।

    भाईजी ने दिए यह सुझाव

    • -50 व्यक्तियों से कम संख्या में आयोजन हो।
    • -राक्षस, वानर सेना के लिए बच्चों की न्यूनतम आयु सीमा तय हो।
    • -श्रीराम बरात, विजय दशमी आदि में व्यक्तियों की संख्या सीमित रहे।
    • -शारीरिक दूरी व सैनिटाइजेशन का पालन कराएं।
    • -डिजिटल व सोशल प्लेटफार्म से मंचन का सीधा प्रसारण हो।
    • -रामलीला मैदान के सभी गेट बंद हो, एक गेट से आवाजाही हो।

    अक्टूबर मध्य में शुरू होंगे नवरात्र

    अधिमास के चलते इस बार पितृ पक्ष अमावस्या के अगले दिन शारदीय नवरात्र की शुरुआत नहीं होगी। इसके लिए लोगोें को पूरे एक माह इंतजार करना होगा। नवरात्र का शुभारंभ 17 अक्टूबर से होगा। आमतौर पर नवरात्र में ही रामलीला मंचन होता है। हालांकि पितृ पक्ष से पहले ध्वज पूजन की परंपरा निभाई जाती है।