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जलस्रोतों का संरक्षण कर राजेन्‍द्र बिष्‍ट ने बुझाई 56 सौ परिवारों की प्यास, जानें इनके प्रायास को

पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट में रहने वाले राजेंद्र सिंह बिष्ट ने जल स्रोतों के संरक्षण और बरसाती जल के संग्रहण से दूरस्थ क्षेत्रों के 56 सौ पर

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 13 Jun 2019 04:35 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jun 2019 06:41 PM (IST)
जलस्रोतों का संरक्षण कर राजेन्‍द्र बिष्‍ट ने बुझाई 56 सौ परिवारों की प्यास, जानें इनके प्रायास को
जलस्रोतों का संरक्षण कर राजेन्‍द्र बिष्‍ट ने बुझाई 56 सौ परिवारों की प्यास, जानें इनके प्रायास को

हल्द्वानी, जेएनएन : पहाड़ का पानी बहकर मैदानों में पहुंचकर प्यास बुझाता है लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों के लोग प्यासे रह जाते हैं। यही कारण है कि पहाड़ में जल संकट गंभीर समस्या बन चुका है। पहाड़ के वह क्षेत्र, जहां सरकार भी पानी पहुंचाने में असफल हो, वहां आसमान से बरसने वाले पानी को संग्रह कर घरों तक पहुंचाना एक दिवास्वप्न जैसा है, परंतु पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट में रहने वाले राजेंद्र सिंह बिष्ट ने इस मिथक को तोड़ दिया है। राजेंद्र ने जल स्रोतों के संरक्षण और बरसाती जल के संग्रहण से दूरस्थ क्षेत्रों के 56 सौ परिवारों को पानी की समस्या से निजात दिलाई है।

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वर्ष 1996 में राजेंद्र सिंह बिष्ट ने हिमालयन ग्राम विकास समिति नाम से संस्था बनाकर जल संग्रहण की मुहिम शुरू की। पहले चरण में उन्होंने दूरस्थ के उन गांवों को चुना, जहां पेयजल उपलब्ध नहीं था। दूसरे चरण में उन गांवों को चुना, जहां पानी अधिक दूरी पर था। इसके तहत विकास खंड गंगोलीहाट के खनकटिया क्षेत्र में कोठेरा से पाइपलाइन बिछाकर पांच गांवों तक पानी पहुंचाया। स्वजल योजना के तहत उन्होंने इस काम को अंजाम दिया। इसके बाद व्यर्थ बहने वाले बरसाती जल से नाग गांव को पानी दिलाने का बीड़ा उठाया। 

गंगोलीहाट तहसील में साढ़े छह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित नाग गांव में 20 परिवार रहते हैं। सदाबहार स्रोत नहीं होने से गांव की स्थिति बेहद खराब थी। वर्ष 2008 में राजेंद्र ने इस गांव में चार लाख लीटर पानी की क्षमता का बरसाती टैंक बनाया। बरसाती जल संग्रह कर गांव को पानी दिलाया। अब सभी परिवार इस जल का उपयोग कर रहे हैं। इसके साथ पेयजल संकट से ग्रस्त राईआगर क्षेत्र में 42 परिवारों के लिए 10-10 हजार लीटर क्षमता के बरसाती जल संग्रहण टैंक बनाए। इसी क्रम में उन्होंने तहसील मुनस्यारी के सुंदरीनाग क्षेत्र में कोट्यूड़ा के 24 परिवार वाले गोकुल धुरा को चुना। यहां तक राजेंद्र ने पेयजल योजना बनाई।

राजेंद्र के प्रयास यही नहीं रुके। गंगोलीहाट तहसील का भामा गांव जटिल पेयजल संकट से जूझ रहा था। इस गांव में मनरेगा के तहत एक-एक लाख के दो टैंक बनाए। फरवरी माह तक आसपास के स्रोतों से अतिरिक्त बहने वाले पानी का इनमें भंडारण किया। टैंकों के ऊपर छत डालकर हैंडपंप लगाए गए हैं। यहां के ग्रामीणों को अब जल संकट से मुक्ति मिल चुकी है। इसके साथ ही गांव में 60 परिवारों के लिए सात-सात हजार के बरसाती जल के टैंक बनाए हैं। 71 पेयजल संकट वाले गांवों में 101 पेयजल योजनाओं के लिए साढ़े तीन सौ किमी लंबी पाइपलाइन भी बिछाई है। 

गंगोलीहाट के साथ जिले भर में किया जलसंकट दूर करने का प्रयास 

एनजीओ के माध्यम से पेयजल पर उल्लेखनीय कार्य करने वाले राजेंद्र सिंह बिष्ट ने गंगोलीहाट जीआइसी, पिथौरागढ़ के सामने खड़ी थलकेदार चोटी और डीडीहाट के सिराकोट मंदिर क्षेत्र में 10-10 हजार लीटर क्षमता के बरसाती जल संग्रह टैंक बनाए हैं। जल संग्रहण के लिए उन्होंने बेरीनाग, गंगोलीहाट, मुनस्यारी के तल्ला जोहार के ऊंचाई वाले क्षेत्र, अल्मोड़ा के भैसियाछाना विकास खंड के धौलछीना और धौलादेवी विकास खंड के धौला देवी में बरसाती जल संग्रह टैंक के अलावा स्रोतों से जल संग्रहण का भी कार्य किया है। 

पनार से लेकर चिटगांव तक 30 गांवों में पानी पहुंचाने के प्रयास

राजेंद्र सिंह ने वर्तमान में गंगोलीहाट के पनार से लेकर चिटगल गांव तक पहाड़ी पर स्थित 30 गांवों में 506 स्रोतों का चिह्नीकरण कर इस जल के संग्रहण के लिए मनरेगा के तहत प्रस्ताव दिया है। इसके लिए सर्वे चल रहा है। इतना ही नहीं गंगोलीहाट के उप्राड़ा में 14 लाख लीटर क्षमता वाली एक मिनी झील बनाई है। राममंदिर क्षेत्र के झलतोला नामक स्थान पर एक करोड़ लीटर क्षमता वाली ताल बनाने का सुझाव दिया था। इस सुझाव पर प्रशासन पर अमल कर रहा है।

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