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    Uttarakhand News: बेटे के अदम्य साहस पर माता-पिता का सीना हुआ चौड़ा, राज्यपाल ने सौंपा प्रशंसा पत्र

    Updated: Thu, 12 Jun 2025 12:01 PM (IST)

    नैनीताल के राजभवन में एक शाम सैनिकों के नाम कार्यक्रम में हवलदार जुगेंद्र सिंह के माता-पिता को सम्मानित किया गया। जुगेंद्र को जम्मू में अदम्य साहस दिखाने और दो आतंकियों को मारने के लिए सम्मानित किया गया था। राज्यपाल ने उनकी माता को प्रशंसा पत्र सौंपा। जुगेंद्र के माता-पिता ने बेटे की बहादुरी पर गर्व जताया और कहा कि बेटे ने उनका सीना चौड़ा कर दिया।

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    हवलदार जुगेन्द्र सिंह के पिता नेकचंद्र व माता कौशल्या बाई बेटे को मिले राज्यपाल प्रशंसा पत्र के साथ। जागरण

    जागरण संवाददाता, नैनीताल। राजभवन में आयोजित एक शाम सैनिकों के नाम कार्यक्रम में मंच पर हवलदार जुगेंद्र सिंह का नाम आते ही उसके माता-पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। सामान्य वेशभूषा में बेहद झिझकते हुए मंच पर पहुंच हवलदार जुगेंद्र की मां कौशल्या बाई ने राज्यपाल के हाथों बेटे का राज्यपाल प्रशंसा पत्र प्राप्त किया। 

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    आयोजन के बाद विशेष बातचीत में जुगेंद्र के माता-पिता ने गौरवान्वित होते हुए कहा कि बेटे ने देश सेवा कर उनका सीना चौड़ा कर दिया। 12 सितंबर 2023 को जम्मू में हुए एक ऑपरेशन में हवलदार जुगेंद्र सिंह ने अदम्य साहस का परिचय दिया था। 

    अपनी टीम के स्क्वाडन कमांडर के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए उन्होंने दो आतंकियों को मार गिराया था, जिसके लिए उन्हें 26 जनवरी 2025 को गणतंत्र दिवस पर मेंशन इन डिस्पेच से सम्मानित किया गया था। 

    बुधवार को राजभवन में आयोजित एक शाम सैनिकों के नाम कार्यक्रम में जुगेंद्र सिंह बंगलौर में तैनाती होने के कारण नहीं पहुंच सके। उनके लिए उनकी माता कौशल्या बाई ने पुरस्कार ग्रहण किया। 

    पिता नेक चंद्र व माता कौशल्या बाई ने कहा कि सेना के इतने बड़े अधिकारियों के बीच राज्यपाल से सम्मान पाकर उनका सीना चौड़ा हो गया। खेती कर परिवार को गुजर बसर कर रहे पिता ने कहा कि जुगेंद्र में बचपन से ही सेना में जाने का सपना था। 

    कार्यक्रम में इस तरह सम्मान पाकर गर्व महसूस हो रहा है। सेवानिवृत्त होने के बाद भी सैन्य कल्याण का जज्बा कार्यक्रम में आनरेरी सूबेदार मेजर खड़क सिंह कार्की को सेवानिवृत्त होने के बाद सामाजिक क्षेत्र में किए गए सराहनीय कार्यों के लिए राज्यपाल प्रशंसा पत्र से नवाजा गया। 

    1996 में सेवानिवृत्त के बाद से ही खड़क सिंह कार्की सैनिकों के कल्याण को लेकर प्रयासरत रहे। उन्होंने सैनिक फार्म पत्थर चट्टा की भूमि को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जिस कारण आज भी पूर्व सैनिक व उनके आश्रित आज भी लाभान्वित हो रहे हैं।