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जलस्रोतों को पुनर्जीवित कर रामगढ़ के 31 गांवों को लाभान्वित कर रहे प्रो पीसी तिवारी nainital news

पूरे मध्य हिमालय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव देखने को मिल रहा है। इस प्रभाव की वजह से जलस्रोत सूख रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 16 Jun 2019 10:59 AM (IST)Updated: Sun, 16 Jun 2019 10:59 AM (IST)
जलस्रोतों को पुनर्जीवित कर रामगढ़ के 31 गांवों को लाभान्वित कर रहे प्रो पीसी तिवारी nainital news
जलस्रोतों को पुनर्जीवित कर रामगढ़ के 31 गांवों को लाभान्वित कर रहे प्रो पीसी तिवारी nainital news

नैनीताल, जेएनएन : पूरे मध्य हिमालय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव देखने को मिल रहा है। इस प्रभाव की वजह से जलस्रोत सूख रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की वजह से पूरे उत्तराखंड में सालाना औसत दस प्रतिशत बारिश कम हो रही है। यही नहीं साल में बारिश के 66 दिन अब घटकर 55 पहुंच गए हैं। रामगढ़ क्षेत्र के रामगाढ़ जलागम क्षेत्रों के 31 गांवों के समग्र अध्ययन का निष्कर्ष यही है। अब वैज्ञानिक इन 28 हजार आबादी के गांवों में जलस्रोतों के पुनर्जीवित करने के लिए स्थानीय लोगों के साथ ही सरकारी विभागों को एक मेज पर लाने में जुटे है, ताकि जल प्रबंधन का फ्रेमवर्क तैयार हो सके। 

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कुमाऊं विवि भूगोल विभाग के प्रो. पीसी तिवारी के निर्देशन में रामगढ़ ब्लॉक के गांवों में शोध परियोजना संचालित है। इस परियोजना के तहत किए गए शोध अध्ययन के नतीजे बेहद चौंकाने वाले आ रहे हैं। जैसे अक्टूबर से अप्रैल तक की बारिश के दिन घट गए हैं तो इससे पानी की उपलब्धता कम हो गई है। रामगढ़ क्षेत्र के चयनित इलाकों के 35 फीसद प्राकृतिक जलस्रोत सूख गए हैं। इस वजह से सब्जियों का उत्पादन प्रभावित हुआ है। प्रो. तिवारी के अनुसार अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर अब ग्रामीणों की आजीविका संवर्धन, जल संरक्षण की कार्ययोजना तैयार की जा रही है। इसमें लोनिवि, वन, उद्यान, कृषि, वन पंचायत, स्थानीय कारोबारियों, ग्रामीणों की मदद से जल संकट दूर करने की कार्ययोजना तैयार की जाएगी। इसको लेकर 27-28 जून को नैनीताल में कार्यशाला आयोजित की जा रही है। 

हिमालयी क्षेत्र में बढ़त रहे नगरीकरण का अध्यध्यन शुरू

अमेरिकी अंतरीक्ष संस्था नासा के सहयोग से हिमालयी क्षेत्रों में बढ़ते नगरीकरण, पर्यावरणीय प्रभावों, प्राकृतिक आपदा के परिप्रेक्ष्य में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, भवन निर्माण के प्रति संवेदनशीलता, यातायात के प्रभावों पर अध्ययन शुरू हो चुका है। डीएसबी भूगोल विभाग के प्रो. तिवारी के अनुसार इस अध्ययन में उत्तराखंड के अल्मोड़ा, नैनीताल व लोहाघाट के अलावा नेपाल का महेंद्र नगर, भूटान की राजधानी थिम्पू शामिल किया गया है। प्रो तिवारी के अनुसार अल्मोड़ा का अध्ययन करीब-करीब पूरा हो चुका है, जिसकी रिपोर्ट जल्द तैयार की जाएगी। 

हिमालयी विवि के संघ का सदस्य बना कुमाऊं विवि

कुमाऊं विवि हिमालयी क्षेत्रों के विश्वविद्यालयों के संघ में शामिल हो गया है। इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंट्रीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट इसीमोड द्वारा हिमालयी क्षेत्रों के विवि का संघ बनाया गया है। कुमाऊं विवि इसका 66 वां सदस्य बना है। जिसे बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। इस सदस्यता के बाद विवि हिमालयी क्षेत्र के विकास पर अनुसंधान करेगा। प्रो. तिवारी के अनुसार इस सदस्यता के बाद कुमाऊं विवि के छात्रों को  इंटरनेशनल संस्था द्वारा दूसरे विवि में शोध के लिए अध्ययन का मौका प्रदान किया जाएगा। 

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