क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में निजी अस्पताल बंद, भटक रहे मरीज
राज्य सरकार की ओर से क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट (सीईए) लागू करने को लेकर निजी अस्पताल 15 फरवरी से निश्चितकाल के लिए बंद रहेंगे।
हल्द्वानी, जेएनएन : क्लीनिक इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में निजी अस्पतालों ने सुबह से ही कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है। इसकी वजह से मरीज निराश लौटने को मजबूर हो रहे हैं। शहर में ही २२ निजी अस्पताल हैं। इनमें प्रतिदिन २५०० मरीज ओपीडी में इलाज कराने आते हैं। १२०० मरीज एक बार में रहते हैं, लेकिन सुबह जैसे ही मरीज अस्पतालों में पहुंचे। उन्हें ओपीडी बंद मिली। इमरजेंसी सेवा भी नहीं मिली। आइएमए ने अग्रसेन भवन में बैठक बुलाई है। इसमें डॉक्टर आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे।
पूरे कुमाऊं से पहुंचे मरीज
हल्द्वानी के निजी अस्पतालों में इलाज के लिए पूरे कुमाऊं भर के मरीज पहुंचे हैं। कोई न्यूरो से संबधित इलाज के लिए आया है तो किसी को किडनी, पेट व हृदय से संबंधित बीमारियों का इलाज चाहिए। यह सुविधाएं केवल निजी चिकित्सालयों हैं। इसके चलते मरीजों को दिक्कत होने लगी है। फिलहाल प्रशासनिक स्तर पर किसी तरह की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है।
सरकारी अस्पतालों में अभी नहीं दिखी भीड़
निजी अस्पतालों में हड़ताल का असर अभी सरकारी अस्पताल में नहीं दिख रहा है। अगर निजी अस्पताल अनिश्चितकाल के लिए बंद हो जाते हैं, तो इसका असर सरकारी अस्पतालों पर पडऩे लगेगा। शहर में बेस अस्पताल, महिला अस्पताल के अलावा डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय है। हालांकि, यहां पर सुपरस्पेशलिस्टी की सुविधाएं नहीं हैं।क्लीनिक इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में निजी अस्पतालों ने सुबह से ही कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है। इसकी वजह से मरीज निराश लौटने को मजबूर हो रहे हैं। शहर में ही २२ निजी अस्पताल हैं। इनमें प्रतिदिन २५०० मरीज ओपीडी में इलाज कराने आते हैं। १२०० मरीज एक बार में रहते हैं, लेकिन सुबह जैसे ही मरीज अस्पतालों में पहुंचे। उन्हें ओपीडी बंद मिली। इमरजेंसी सेवा भी नहीं मिली। आइएमए ने अग्रसेन भवन में बैठक बुलाई है। इसमें डॉक्टर आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे।
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