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    नैनीताल हाई कोर्ट में गूंजा सवाल, 'नाबालिग जोड़ों के प्यार के मामले में हमेशा लड़के दोषी क्यों?'

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 05:19 PM (IST)

    नैनीताल हाई कोर्ट ने नाबालिग लड़के-लड़कियों के प्रेम संबंधों में लड़के को पॉक्सो एक्ट में गिरफ्तार करने के खिलाफ जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता के अनुसार ऐसे मामलों में लड़के को दोषी मानकर जेल भेज दिया जाता है जबकि काउंसलिंग होनी चाहिए। कोर्ट ने हल्द्वानी जेल में ऐसे 20 किशोरों के बंद होने की जानकारी पर चिंता व्यक्त की।

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    हल्द्वानी जेल में ऐसे आरोपों से संबंधित 20 किशोर बंद हैं। Concept Photo

    जासं,  नैनीताल। हाई कोर्ट ने नाबालिग लड़के-लड़कियों के प्यार व डेटिंग के दौरान पकड़े जाने पर लड़के को पॉक्सो एक्ट में गिरफ्तार किए जाने के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने अधिवक्ता के आग्रह पर अगली सुनवाई अगले सप्ताह नियत कर दी। साथ ही केंद्र व राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

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    बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में हाई कोर्ट की अधिवक्ता मनीषा भंडारी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें कहा गया है कि नाबालिग लड़के-लड़कियों के प्यार के मामले में हमेशा लड़के को दोषी माना जाता है।

    तमाम मामलों में लड़की आयु में बड़ी होती है, फिर भी लड़के को ही हिरासत में लिया जाता है और उसे अपराधी बनाकर पॉक्सो एक्ट के तहत जेल में डाल दिया जाता है जबकि उसकी गिरफ्तारी के बजाय काउंसिलिंग होनी चाहिए। जिस उम्र में उसे स्कूल कॉलेज होना चाहिए था, वह जेल में होता है।

    ऐसे मामले में जुवैनाइल जस्टिस एक्ट के तहत ऐसे मामले में लड़के, लड़कियों व स्वजनों की काउंसिलिंग की जानी चाहिए। जबकि भारतीय दंड संहिता में 16 से 18 साल के अपराधी किशोरों को दंड देने के बजाय उनकी मानसिक स्थिति को जानने के लिए बोर्ड का गठन करने का प्रविधान है ।

    इसके विपरीत पॉक्सो एक्ट के कुछ धाराओं में जेल भेज जाता है। यह अपने आप में सोचनीय विषय है। इस पर विचार किया जाना आवश्यक है। नाबालिगों को सीधे जेल न भेजकर उनकी काउंसिलिंग की जानी चाहिए। सुनवाई के दौरान कोर्ट के संज्ञान में आया कि हल्द्वानी जेल में ऐसे आरोपों से संबंधित 20 किशोर बंद हैं।