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    पीएम ने मन की बात में किया नैनीताल की दूरबीन का जिक्र, एरीज के वैज्ञानिकों ने कहा इससे स्टार गेजिंग को मिलेगा प्रोत्साहन nainital news

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Tue, 31 Dec 2019 08:25 AM (IST)

    मन की बात में एस्ट्रोनोमी के क्षेत्र में देश के बढ़ते कदमों के साथ स्टार गेजिंग को बढ़ावा देने की भी बात पीएम ने की है। इससे एरीज के वैज्ञानिक बेहद उत्साहित हैं।

    पीएम ने मन की बात में किया नैनीताल की दूरबीन का जिक्र, एरीज के वैज्ञानिकों ने कहा इससे स्टार गेजिंग को मिलेगा प्रोत्साहन nainital news

    नैनीताल, जेएनएन : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रविवार को मन की बात में देवस्थल और यहां की दूरबीन का जिक्र करने पर एरीज के वैज्ञानिक बेहद उत्साहित हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बात से वैज्ञानिकों का मनोबल बढऩे के साथ एरीज नए आयाम स्थापित करने का प्रयास करेंगे। मन की बात में एस्ट्रोनोमी के क्षेत्र में देश के बढ़ते कदमों के साथ स्टार गेजिंग को बढ़ावा देने की भी बात पीएम ने की है।

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    आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के खगोल वैज्ञानिक डॉ. वहाबउदद्ीन ने कहा कि कार्यवाहक निदेशक के रूप में उनके कार्यकाल में देवस्थल की दूरबीन का शुभारंभ हुआ था। अब पीएम ने इस दूरबीन की उपलब्धि बताई है। उनके लिए यह गौरवान्वित करने वाली मन की बात है। वहीं डॉ. शशिभूषण पांडे ने कहा कि प्रधानमंत्री का एरीज के बारे में जिक्र करना ही वैज्ञानिकों के लिए पर्याप्त है। इससे निश्चित ही एरीज भविष्य में नए आयाम स्थापित करने का प्रयास करेगा।

    क्या कहा था पीएम ने

    रविवार को पीएम मोदी ने इस वर्ष के अपने आखिरी मन की बात में कहा था कि एस्ट्रोनोमी का क्षेत्र आज भी अछूता ही रह गया है। भले ही इस दिशा में भारत विश्वस्तर पर काफी आगे है, लेकिन स्टार गेजिंग को बढ़ावा देने की जरूरत है। देश में विद्यालयस्तर पर एस्ट्रोनोमी क्लब चलाए जा रहे हैं, जिन्हें वृहदस्तर पर आगे ले जाया जा सकता है। स्टार गेजिंग के जरिए दूरस्थ क्षेत्रों मे इसका विकास किया जा सकता है। एस्ट्रोनोमी के क्षेत्र में देश के पास एरीज में एशिया की सबसे बढ़ी दूरबीन है। इस दूरबीन का उद्घाटन उन्होंने 2016 में बेल्जियम के तत्कालीन प्रधानमंत्री के साथ किया था। एस्ट्रोसेट व मीटर वेब टेलीस्कोप जैसी कई अन्य दूरबीनों का जिक्र भी उन्होंने अपने संबोधन में किया। एस्ट्रोनोमी के क्षेत्र में युवाओं में देश के प्राचीन खगोल को जानने के जितनी ललक है, उतना ही दृढ़ संकल्प एस्ट्रोनोमी के भविष्य को लेकर है।

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