कुमाऊं पहुंचा कैलास मानसरोवर यात्रियों का पहला दल, परंपरागत तरीके से हुआ स्वागत
कैलास मानसरोवर यात्रा 2019 का पहला दल बुधवार को दिल्ली से काठगोदाम पहुंचा। जाम के कारण साढ़े तीन घंटे देरी से पहुंचे दल का काठगोदाम स्थित गेस्टहाउस म ...और पढ़ें

हल्द्वानी, जेएनएन : कैलास मानसरोवर यात्रा 2019 का पहला दल बुधवार को दिल्ली से काठगोदाम पहुंचा। जाम के कारण साढ़े तीन घंटे देरी से पहुंचे 58 सदस्यीय दल का काठगोदाम पर्यटक आवास गृह में परंपरागत तरीके से स्वागत किया गया। भोजन के बाद सभी अल्मोड़ा रवाना हो गए।
नैनीताल के सांसद अजय भट्ट, केएमवीएन की उपाध्यक्ष रेनू अधिकारी, प्रभारी एमडी वीके सुमन ने यात्रियों का स्वागत किया। अक्षत-रोली से तिलक व गेंदे के फूलों से स्वागत होता देख यात्री अभिभूत हो गए। पहले दल में गुजरात से 15, दिल्ली से नौ, राजस्थान से आठ, उत्तर प्रदेश से सात, उत्तराखंड से पांच, हरियाणा से तीन, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र से दो-दो, हिमाचल, कर्नाटक, चंडीगढ़ से एक-एक यात्री शामिल हैं। दिल्ली के मुरलीधर (68) सबसे बुजुर्ग व गुजरात के अजय सिंह (21) सबसे कम उम्र के यात्री हैं। दल में नौ महिलाएं और 49 पुरुष यात्री हैं। स्वागत समारोह के दौरान केएमवीएन के जीएम अशोक जोशी, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रदीप बिष्ट, जिला पर्यटन अधिकारी बीना सुयाल, मीना अग्रवाल, सतेंद्र जुयाल, गिरधर मनराल, रमेश पांडे, दीपक पांडे, मजहर नईम नवाब आदि भी मौजूद रहे। दो जुलाई को वापस लौटेगा दल कैलास मानसरोवर यात्रा करीब तीन माह चलेगी। एक दल को यात्रा पूरी करने में 21 दिन लगेंगे। मानसरोवर दर्शन करने के बाद पहला दल दो जुलाई को काठगोदाम होते हुए दिल्ली लौटेगा।
पहले दल में नैनीताल के एक ही परिवार के तीन शिवभक्त
प्रसिद्ध कैलास मानसरोवर यात्रा के पहले दल में पहली बार नैनीताल के एक ही परिवार के तीन शिवभक्त शामिल किए गए हैं। मल्लीताल बड़ा बाजार निवासी दिनेश अग्रवाल, उनकी पत्नी सरिता अग्रवाल व बेटा अक्षय अग्रवाल तीनों ही एक साथ शिवधाम का दर्शन करेंगे। जन कल्याण समिति से जुड़े दिनेश समाजसेवी हैं। उन्होंने बताया कि 1997 में मालपा हादसे के बाद मन में विचार आया कि कैलास मानसरोवर यात्रा पर जाना चाहिए। शिव के धाम जाने की दिली इच्छा थी। इसलिए इस बार सपरिवार यात्रा पर जाने के लिए आवेदन किया तो पत्नी व बेटे के साथ उसका भी नंबर आ गया। बताया कि बेटा दिल्ली में जॉब करता है, जबकि पत्नी गृहिणी होने के साथ ही कारोबार में हाथ भी बटाती है। कहा कि इच्छा मां को भी ले जाने की थी, मगर बुजुर्ग होने की वजह से विचार टालना पड़ा। दिनेश ने पहले ही दल में चयन की वजह शिव की कृपा बताया।

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