लहलाहते खेतों से उपखनिज खोदने पर लगाया सवा करोड़ रुपये का जुर्माना
मोटा मुनाफा कमाने के चलते अब लोग अपने लहलहाते उपजाऊ खेतों को भी उपखनिज के लिए खोदने लगे हैं। खनन विभाग की बिना अनुमति के खेत खोदे जा रहे थे।
रामनगर, जेएनएन : मोटा मुनाफा कमाने के चलते अब लोग अपने लहलहाते उपजाऊ खेतों को भी उपखनिज के लिए खोदने लगे हैं। खनन विभाग की बिना अनुमति के खेत खोदे जा रहे थे। खनन विभाग ने प्रशासन के साथ मिलकर क्षेत्र में छापामार कार्रवाई की। इस दौरान 1.24 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया। आश्चर्य इस बात का है कि लोगों ने खेत खोदकर लाखों रुपये का उपखनिज निकालकर बेच दिया और संबंधित महकमों को इसकी खबर तक नहीं लगी। छापामारी के दौरान खेत स्वामियों द्वारा उपखनिज को अन्यत्र ठिकाने लगा दिया गया।
खनन विभाग के कुमाऊं के उपनिदेशक राजपाल लेघा, एसडीएम हरगिरी गोस्वामी व तहसीलदार प्रियंका रानी ने ग्राम चैनपुरी क्षेत्र में छापामारी की। इस दौरान बचे सिंह का खेत खोदा मिला। गड्ढा खोदकर 2624 घनमीटर उपखनिज निकाला गया था। उस पर 22,20480 रुपये का जुर्माना लगाया गया। उदयपुरी बंदोबस्ती में पे्रम सिंह के खेत में गड्ढा खोदकर 340 घनमीटर उपखनिज निकाला गया था। उस पर 4,61800 का जुर्माना लगाया गया। इसी तरह खुशाल सिंह के खेत में 4940 घनमीटर उपखनिज निकालने पर 33,97240 रुपये व राहम सहाय के खेत में 816 घनमीटर उपखनिज निकालने पर 8,28320 रुपये का जुर्माना लगाया गया। इसके अलावा ग्राम सक्खनपुर में स्टोन क्रशर के संचालकों द्वारा समीप ही भूमि खोदकर गड्ढे से 8437 घनमीटर उपखनिज निकाला गया था। अधिकारियों ने मनराल एसोसिएट पर 48,40,000 रुपये का जुर्माना लगाया। खनन अधिकारी लेघा ने बताया कि आरोपितों पर सवा करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की संस्तुति की गई है।
28सीज वाहनों पर 25.60 लाख जुर्माना
अवैध खनन में सीज किए गए वाहनों से सरकार का राजस्व बढ़ा है। वन विभाग ने अब तक सीज वाहनों पर जुर्माना तय कर दिया। जुर्माना वसूलने के बाद ही वाहनों को छोडऩे की कार्रवाई की जाएगी। जबकि अन्य वाहनों के निपटारे के लिए अगली तिथि घोषित की जाएगी।
तराई पश्चिमी वन प्रभाग के अंतर्गत वन कर्मियों द्वारा कोसी नदी में अलग-अलग रेंज में अवैध खनन में वाहन पकड़े गए थे। इन वाहनों को वन विभाग ने कब्जे में लेकर सीज कर दिया था। वाहन स्वामी जुर्माना भरने के लिए कार्यालय के चक्कर लगा रहे थे। बुधवार को पिछले छह माह व दो माह के भीतर सीज 35 मामलों की डीएफओ डीके सिंह की कोर्ट में सुनवाई हुई। पांच वाहन मालिक कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए। दो वाहनों की सुनवाई के लिए अगली तिथि तय की गई। कुल 28 वाहनों की सुनवाई हुई। वाहन जिस रेंज में पकड़े गए थे, उनके रेंजरों ने भी कोर्ट में तथ्य प्रस्तुत कर अपना पक्ष रखा। सुनवाई के बाद 28 वाहनों पर 25.60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। सबसे ज्यादा जुर्माना दो लाख रुपये एक डंपर किया गया।
इमली घाट गेट के 35 वाहनों का गेट परिर्वतन
लालकुआं : वन निगम व खनन समिति गौला नदी में बनाएं गए अपने ही नियमों को बदलने में तुली है। जिससे शासन प्रशासन की नियत में खोट नजर आ रहा है। वन निगम की इस कार्रवाई से वाहन स्वामियों में आक्रोश व्याप्त है। बता दें बिंदुखत्ता व शांतिपुरी समेत अन्य क्षेत्रों के ग्रामीणों की मांग पर वर्ष 2013 - 14 में गौला नदी में एक और गेट का निर्माण कर पांच सौ ट्रैक्टर ट्रालियों का पंजीकरण किया था। जिसके लिए तत्कालीन जिलाधिकारी अरविंद सिंह हयांकी के नेतृत्व में खनन समिति की बैठक आयोजित की गई। जिसमें वाहनों का पंजीकरण लाटरी से करने व 50 फीसदी वाहन नैनीताल व 50 फीसदी वाहन ऊधम सिंह नगर जनपद के पंजीकृत करने का निर्णय लिया गया।खनन समिति की बैठक के बाद जिलाधिकारी द्वारा प्रभागीय वन विकास प्रबंधक को स्पष्ट रूप से लिखा है इमलीघाट पर होने वाले वाहनों के पंजीकरण को भविष्य में गेट परिवर्तन नहीं किया जाएगा। जिसके लिए वाहनों के पंजीकरण करते समय वन विकास निगम ने वाहन स्वामियों से शपथपत्र भी लिया गया था। जिसमें वाहन स्वामियों ने वाहन को किसी अन्य गेट में नही ले जाने की बात लिखवाई गई थी। बावजूद इसके गेट परिवर्तन जारी है। सत्तापक्ष के दबाव में बुधवार को 35 वाहनों के लालकुआं व अन्य गेटों में परिवर्तन किया गया है। जिससे वाहन स्वामियों में आक्रोश व्याप्त है।
क्या होता है फायदा
इमलीघाट के अलावा अन्य सभी गेटों में ट्रक व डंपर भी उपखनिज की निकासी कर सकते है, जबकि इमलीघाट गेट में सिर्फ टै्रक्टर। टै्रक्टर में मात्र छह टन व डंपर में 11 टन उपखनिज निकासी हो सकती है। ऐसे में अन्य गेटों में पंजीकृत वाहन इमलीघाट गेट में पंजीकृत वाहन से करीब दोगुना पैसा कमाते है।
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