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    कुमाऊं के प्रसिद्ध लोकगायक स्व. पप्पू कार्की के आश्रितों को 90 लाख मुआवजा देने का आदेश

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 10:48 AM (IST)

    नैनीताल हाई कोर्ट ने कुमाऊं के प्रसिद्ध लोकगायक पप्पू कार्की के परिवार को 90 लाख रुपये से अधिक का मुआवजा देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने बीमा कंपनी की अपील को खारिज करते हुए मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के फैसले को बरकरार रखा। यह मामला 2018 में हुई एक दुर्घटना से संबंधित है जिसमें पप्पू कार्की की मृत्यु हो गई थी।

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    कुमाऊं के प्रसिद्ध लोकगायक स्व पप्पू कार्की के आश्रितों को 90 लाख मुआवजा देने का आदेश।

    जागरण संवाददाता, नैनीताल। हाई कोर्ट ने बीमा कंपनी की अपील खारिज करते कुमाऊं के प्रसिद्ध लोकगायक स्व.पप्पू कार्की के आश्रितों को 90 लाख रुपये से अधिक का मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं।

    न्यायाधीश न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की एकलपीठ ने ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा दायर एक अपील को खारिज करते हुए मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें एक दुर्घटना में मारे गए लोक गायक परवेंद्र सिंह उर्फ ​​पप्पू कार्की के आश्रितों को 90 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया गया था।

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    एकल पीठ ने बीमा कंपनी के उन तर्कों को सिरे से खारिज कर दिया, जिनमें मृतक की आय और वाहन चालक की लापरवाही पर सवाल उठाया गया था।

    यह मामला नौ जून 2018 को हुई एक दुर्घटना से संबंधित है, जब गौनियारो-हैड़ाखान से हल्द्वानी जा रही कार ग्राम मुरकुड़िया, के पास गहरे खड्ड में जा गिरी थो । जिसमें कार चालक व गायक पप्पू कार्की की मौत हो गई थी ।

    मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण/प्रथम अपर जिला न्यायाधीश, हल्द्वानी ने 18 अक्टूबर2019 को मृतक की पत्नी कविता कार्की और अन्य आश्रितों के पक्ष में 90,01,776 रुपये का मुआवजा देने का फैसला सुनाया था, जिसे बीमा कंपनी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

    बीमा कंपनी के वकील ने तर्क दिया कि अधिकरण ने मृतक की आय की गणना के लिए उनकी मृत्यु के बाद की अवधि के आयकर रिटर्न पर विचार करके गलती की है। साथ ही यह भी तर्क दिया गया कि चूंकि मृतक एक गायक थे, उनकी आय नियमित नहीं थी और दुर्घटना जंगली जानवर को बचाने के प्रयास में हुई थी, न कि तेज और लापरवाही से ड्राइविंग के कारण।

    इसके विपरीत, आश्रितों के वकील ने कहा कि आईटीआर दुर्घटना की तिथि से पहले की अवधि यानी आकलन वर्ष 2015-16, 2016-17, और 2017-18 के थे, और आई टी आर वैधानिक दस्तावेज हैं, जिन्हें केवल दाखिल करने की तिथि के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता।